अधिकारियों की कार्यशैली की बजह से नही सुधर रही यमुना मैया की दशा
अधिकारियों की कार्यशैली की बजह से नही सुधर रही यमुना मैया की दशा
-आजादी के सात दशकों के बाद भी नही सुधर रही प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली
-यमुना घाटों पर अपार गंदगी, घुटनों तक कीचड़ देखकर आहत हो रही श्रद्धालुओं की आस्था
मथुरा । आधुनिक भारत में आजादी के सात दशक बाद भी हम शुद्ध वर्षा जल को संरक्षित रखने में असफल हो रहे हैं या कहा जा सकता है कि अधिकारियों की उदासीनता और कार्यशैली जिम्मेदार है, यह आज जनमानस के लिए यक्ष प्रश्न के समान है, तीनों लोक से न्यारी मथुरा पुरी में प्रतिदिन देश देशांतर से हजारों श्रद्धालु मां यमुना महारानी के दर्शन, पूजा, अर्चना और स्नान के लिए मथुरा पुरी आ रहे हैं, निरंतर गिर रहा प्रदूषित पानी यमुना जल की स्थिति खराब कर रहा है, यमुना के जलस्तर में गिरावट से स्नान करने वाले घाटों पर स्थिति दयनीय हो गई है, मथुरा में ब्रज दर्शन और मथुरा पुरी बृजमंडल चौरासी कोस तीर्थ यात्रा के लिए हजारों श्रद्धालु मथुरा के यमुना घाटों पर स्नान करने के लिए आ रहा है, यमुना जल की स्थिति देखकर श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है, स्नान घाट से पानी ही गायब है, अपार गंदगी व घुटनों कीचड़ देख हतप्रद रह जाता है ।
बृज पर्यावरण संरक्षण परिषद के अध्यक्ष एवं एनजीटी में याचिकाकर्ता तीर्थ पुरोहित माथुर चतुर्वेदी समाज के कान्तानाथ चतुर्वेदी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर कार्य करना अधिकारियों की आदत हो गई है, प्रशासनिक अधिकारियों की घोर लापरवाही से जनभावनाओं के साथ निरंतर खिलवाड़ हो रहा है, परिषद के महामंत्री रामदास चतुर्वेदी पूर्व पार्षद का कहा है कि जनप्रतिनिधियों को भी इस विषय का अधिकारियों से गंभीरता पूर्वक संज्ञान लेना चाहिए, उनका यह भी कहना है कि सात दशक के बावजूद अधिकारियों की कार्यशैली में परिवर्तन नहीं है, आज भी उनके सोच अंग्रेजों जैसी है, सूर्यकांत चतुर्वेदी का कहते है कि गत माह यमुना के सुंदर स्वरूप का दर्शन कर हजारों श्रद्धालुओं ने मथुरा पुरी दर्शन करने का निश्चय किया और जब वह मथुरा पुरी आ रहे हैं तो अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं, घाटों पर जलस्तर की स्थिति स्थानीय निवासियों के साथ हजारों श्रद्धालुओं के लिए कष्टदायक दर्शित हो रही है और प्रशासनिक अधिकारी मौन हैं ।