
बाढ़ : 1978 से तुलना करना बेमानी, अब बाढ से कहीं ज्यादा भ्रष्टाचार से हो रहा नुकसान
बाढ़ : 1978 से तुलना करना बेमानी, अब बाढ से कहीं ज्यादा भ्रष्टाचार से हो रहा नुकसान
-वर्ष 1978 जितना पानी आया तो हानि की कल्पना करना भी होगा मुश्किल
-वृंदावन से गोकुल तक खादर में करीबन 250 से भी ज्यादा विकसित हुई हैं अवैध कॉलोनियां
मथुरा। वर्ष 1978 की बाढ की चर्चा हर बार होती है जब भी यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को छूता है। माना जाता है कि वर्तमान में जीवित लोगों के आगे वह सबसे भीषण बाढ़ थी। इस समय बाढ़ का पानी कई दिनों से मथुरा में प्रयाग घाट पर 167 मीटर से ऊपर बना हुआ है। हालांकि यह यह किसी भी दिन 168 मीटर पर नहीं पहुंचा है। बाढ के पानी को देख कर लोगों के बीच कायास बाजी शुरू हो गई है।
वर्तमान परिस्थितियों का वर्ष 1978 की बाढ़ से तुलना करना बेमानी होगा। वर्ष 1978 मेें जितना मथुरा शहर था उतना तो इसके बाद खादर में अवैधरूप से बस गया है। वर्ष 1978 जितना पानी यमुना में आया तो कितनी हानि होगी इसकी कल्पना करना भी मुश्किल होगा। वर्तमान में करीब 250 कॉलोनियां अवैध रूप से खादर में बस हुई हैं, यहां तक कि 1978 में आई बाढ़ से इस बाढ की तुलना की जा रही है, हालांकि वर्तमान में जीवित आधी से अधिक आबादी का उस समय जन्म ही नहीं हुआ होगा, करीब 47 साल पहले मथुरा शहर की बसावट का भी अंदाजा लगाना नई पीढ़ी के लिए आसान नहीं होगा, वर्तमान में यमुना खादर में वृंदावन से लेकर कोयला घाट तक बसी सैकड़ों कॉलोनियों का उस समय नामोनिशान तक नहीं था, शहर कितना सिकुड़ा हुआ था यह भी अनुमान लगाना आसान नहीं है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, 8 सितंबर 1978 को यमुना का जलस्तर 169.73 मीटर दर्ज किया गया था, जो अब तक का सर्वाधिक जलस्तर माना जाता है। वर्ष 2010 में यमुना का जलस्तर 167.71 मीटर दर्ज किया गया था। 2023 में यमुना का जलस्तर 167.30 मीटर रिकॉर्ड किया गया था। 2010 में साथ ही 50 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। 2023 में भी बाढ़ से 70 हजार लोग प्रभावित हुए थे। 1978 में आई बाढ़ से हालात बहुत विकराल हुए थे। दो सौ गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे और करीब दो लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। साथ ही हजारों एकड़ फसलें भी जलमग्न हो गई थीं।
1978 की अपेक्षा वर्तमान में यमुना का जलस्तर बेहद नीचे है। वर्तमान स्थितियां एक बार फिर लोगों को डरा रही है। हालांकि 1978 की उस त्रासदी को जिन लोगों को देखा था वह जानते हैं कि तब हालात कैसे रहे थे। ग्रामीण इलाकों में तो लोग छतों और पेड़ों पर शरण लेने को मजबूर हुए थे। खुद सेना ने आकर मोर्चा संभाला था और नावों की मदद से राहत व बचाव कार्य शुरू किया था। इसके बाद भी कई दिन तक हालात बेकाबू रहे थे। पानी का बहाव इतना था कि घाटों से लेकर शहर के प्रमुख बाजारों तक तीन तीन फीट पानी भर गया था। रेलवे स्टेशन पर पानी भरने से ट्रेनों का परिचालन रुक गया था। साथ ही गोकुल, वृंदावन और मथुरा के दर्जनों धार्मिक स्थल जलमग्न हो गए थे। वर्ष 2025 में कितने लोग बाढ से प्रभावित हुए हैं। इसके आंकडे जिला प्रशासन बाद में जारी करेगा।
जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने लक्ष्मी गार्डन मैरिज होम में बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए खाने की व्यवस्था का जायजा लिया और तहसीलदार सदर को निर्देश दिए कि कोई भी आए सबको खाना दिया जाए, जो घर रह गए हैं उनको नाव के माध्यम से खाना पीना पहुंचाया जाए। जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने उप जिलाधिकारी मांट रितु सिरोही के साथ ग्राम पंचायत बेगमपुर से लेकर देवरहा बाबा के आश्रम तक फसलों का जायजा लिया और प्रभावित घरों का भी निरीक्षण किया। लेखपालों को निर्देश दिए कि समय से फसल सर्वे का कार्य शुरू कर दें और सर्वे के कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान दिया जाए।