
इंडो भूटान साहित्य कला महोत्सव में हुई ब्रज की नौटंकी
इंडो भूटान साहित्य कला महोत्सव में हुई ब्रज की नौटंकी
-आयोजन में मथुरा की रामलीला व रासलीला का भी होगा मनोहारी मंचन
मथुरा। भूटान सरकार के नेहरू वांगचुक सांस्कृतिक केन्द्र (गृह मंत्रालय,सांस्कृतिक विभाग थिम्पू, भूटान) द्वारा आयोजित छह दिवसीय इंटरनेशनल इंडो भूटान फेस्टो के उद्घाटन अवसर पर ब्रज की सुप्रसिद्ध संस्था ब्रज संस्कृति केन्द्र मथुरा के कलाकारों के द्वारा ब्रज की परम्परागत भगतलीला दानवीर राजा मोरध्वज तथा दूसरे दिन निशि भोजन निषेध का मंचन आचार्य डॉ0 खेमचंद यदुवंशी के निर्देशन में किया गया ।
इससे पूर्व भूटान सरकार के गृह व संस्कृति मंत्री लोयपो शेरूब ग्याल्त्शेन व भारतीय राजदूत संदीप सिंह ने दीप प्रज्वलन कर विधिवत उद्घाटन करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति कला व साहित्य बेहद समृद्ध हैं जिनमें से भगतलीला सबसे पुरानी अर्थात सतयुग कालीन लोकनाट्य है और आज हम उसे भूटान की धरती पर देख पा रहे हैं यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है, इस दौरान भारतीय लोकनाट्यों का परिचय देते हुए आचार्य डॉ0 खेमचंद यदुवंशी शास्त्री ने कहा कि भगतलीला का उदय लीला नाटकों से भी पहले मथुरा के मंदिरों से सतयुग में हुआ और धीरे धीरे मथुरा, वृंदावन, हाथरस आदि क्षेत्रों से पनपती हुई पूरे भारत में व्याप्त हो गई ।
20वीं शताब्दी के प्रारंभ में हाथरस के पंडित नत्थाराम गौड़ के द्वारा विश्व के अनेकानेक देशों तक पहुंचाई गई, जो वर्तमान में भी विश्व स्तर पर स्थापित है, कुछ लोगों ने भगतलीला के एक स्वरूप नौटंकी शब्द को एक मुहावरा बना दिया गया है जो गलत है, उन्हें भगतलीला नौटंकी के वास्तविक स्वरूप को समझना होगा मुहावरे के रूप में प्रयोग बंद करना होगा, मथुरा की सांस्कृतिक छाया को देखने के लिए राजधानी थिंपू पंचतारा होटल व्हाइट तारा का पूरा सभागार भूटानी व प्रवासी भारतीयों से खचाखच भरा हुआ था।