कुंडों के जल के शुद्धिकरण में इस्कॉन व टाटा ग्रुप देंगे योगदान
ब्रज के कुंडों के जल के शुद्धिकरण में इस्कॉन व टाटा ग्रुप देंगे योगदान
-2050 जल निकाय में से 288 कुंड, मौके पर मिले 213, पानी खराब
मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के साक्षी कहे जाने वाले ब्रज के प्राचीन कुंडों का जल अब आचमन योग्य होगा। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की पहल पर ब्रज के प्राचीन कुंडों के जल की गुणवता को सुधारने के लिए इस्कॉन और टाटा ग्रुप काम करने जा रहे हैँ। टाटा ग्रुप ने मानसी गंगा, राधाकुंड, कृष्ण कुंड, अष्ठसखी कुंड, शांतनु कुंड, कृष्ण कुंड, गरुण गोविंद कुंड, नरी सेमरी कुंड को गोद लिया है। जबकि इस्कॉन ने प्रिया कुंड, पावन सरोवर, वृषभानु कुंड, विव्हक कुंड, जल विहार कुंड, कृष्ण कुंड, कृष्ण कुंड को गोद लिया है।
वहीं एमवीडीए ललिता कुंड, वृंदा कुंड, नारद कुंड, सोभरि कुंड, आट्स से सुनरख तक ड्रेन पर काम कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के स्पेस डाटा के अनुसार मथुरा जनपद में 2052 जल निकाय मौजूद हैँ। इनमें से 288 कुंडों के रूप में सामने आए हैँ। इस स्पेस डाटा पर किए गए फील्ड सर्वें में 213 कुंड मौके पर मौजूद मिले हैँ। इसमें अधिकांश देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण अवस्था में थे। इन कुंडों के जल की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। इनका धार्मिक और इतिहासिक महत्व होने के कारण यहाँ श्रद्धालु भी पहुंचते हैँ।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा इनमें से दो दर्जन प्राचीन कुंडों का पुनरोद्धार कराया गया है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। इसके साथ ही अब उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने ब्रज के इन प्राचीन कुंडों का सौंदर्यीकरण करने के साथ ही उनके जल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए निजी संस्थाओं की मदद लेना शुरु कर दिया है। इस प्रक्रिया में इस्कान के साथ टाटा ग्रुप की मदद ली जा रही है। इस्कॉन की संस्था श्रीचौतन्य हेल्थ एंड केयर ट्रस्ट द्वारा सात कुंड और टाटा ग्रुप द्वारा आठ कुंडों का जल शोधन किया जाएगा। इसके लिए डीपीआर तैयार कर ली गई हैँ। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ श्याम बहादुर सिंह ने बताया कि ब्रज में अधिकांश कुंड प्राचीन हैँ, जो इतिहासिक और धार्मिक महत्व से जुड़े हैँ। इनके सौंदर्यीकरण के साथ जल की गुणवत्ता सुधारने का काम किया जा रहा है। टाटा और इस्कॉन् ग्रुप से 15 कुंडों के लिए अनुबंध हुआ है। कोशिश की जाएगी कि कुंडों का जल आचमन योग्य बनाया जा सके। मथुरा वृंदावन् विकास प्राधिकरण भी पांच कुंडों के जल शोधन पर काम कर रहा है।