रानी लक्ष्मी बाई की शहादत स्वतंत्रता संग्राम की बनी अक्षय प्रेरणा

रानी लक्ष्मी बाई की शहादत स्वतंत्रता संग्राम की बनी अक्षय प्रेरणा
-बलिदान दिवस पर आयोजित की विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए विचार
   मथुरा। सन 1857 के प्रथम विद्रोह की अग्रणी नेता झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर अखिल भारतीय साम्प्रदायिकता विरोधी समिति ने विचार गोष्ठी कर उन्हें आजादी की लड़ाई और  कौमी एकता की प्रेरणा स्रोत बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की, बलदेव आश्रम डेम्पियर नगर स्थित समिति के कार्यालय पर आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता वयोवृद्ध वरिष्ठ कांग्रेसी बाबू रमेश चंद्र गर्ग ने की। 
   वक्ताओं ने प्रथम मुक्ति संग्राम के कारणों की चर्चा करते हुए  इसे भारतीय जनता के एकजुट प्रतिरोध का उदाहरण बताया जिसमें हिन्दुओं और मुसलमानों  ने एक साथ मिल कर अंग्रेजी राज से आजादी की जंग लड़ी। बहादुर शाह जफर,नाना साहेब, कुंअर सिंह, अजीमुल्ला, तात्या तोपे, बेगम हजरत महल समेत झाँसी की रानी ने अप्रतिम शौर्य और बलिदान की मिसाल कायम की, कुछ गद्दार राजाओं ने अंग्रेजों का साथ न दिया होता तो नतीजे भिन्न होते। भारतीयों की एकता और प्रतिरोध को कुचलने के लिए अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो की नीति अपना कर देश को कमजोर किया। 
   वक्ताओं ने देश की एकता अखंडता के लिए हिन्दू मुस्लिम भाईचारे को कमजोर करने  के लिए साम्प्रदायिक राजनीति की निंदा की। इस मौके पर समिति के जिला अध्यक्ष  का,शिवदत्त चतुर्वेदी, सीपीएम के जिला मंत्री का टिकेंद्र शाद, सीपीआई के वरिष्ठ नेता का,गफ्फार अब्बास एड, डा. प्रवीण भास्कर, लता सिंह चौहान, सुशील सागर एड, रूपा लवानिया, जगबीर सिंह, अर्पित जादौन ,सुरेश शर्मा,रामवीर सिंह चौहान आदि ने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर पारित प्रस्ताव में ईरान पर इजरायल के हमले और जंग के फैलाव पर चिंता व्यक्त करते हुए गाजा में तत्काल सीजफायर की मांग की गई। संयोजक वैद्य मनोज कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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