अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस : सार्थक उपायों को देनी होगी प्राथमिकता
अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस : सार्थक उपायों की आवश्यकता पर दिया बल
-लापता बच्चों की तलाश के लिए सार्थक प्रयासों की जरूरत-सतीश चन्द्र शर्मा
मथुरा । बेहद संवेदनशील एवं सबसे महत्वपूर्ण विषय सबसे उपेक्षित हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता में मिलनी चाहिए, वह सरकार की नजर से ही परे हैं, बिछुडा बचपन भी ऐसा ही एक संवेदनशील विषय है जिसपर सरकार उतना ध्यान नहीं दे रही है जितना दिया जाना चाहिए, 25 मई को अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस मनाया जाता है, इस अवसर पर बाल अधिकार कार्यकर्ता किशोर न्याय बोर्ड सदस्य सतीश चन्द्र शर्मा का दर्द उनकी आंखों में छलक आया और उन्होंने सरकार से लापता बच्चों को तलाशने को विशेष अभियान चलाये जाने की मांग की है ।
उन्होंने कहा कि सरकार बाल तस्करी रोकने तथा गुमशुदा बच्चों का पता लगाने के लिए कड़े कदम उठाये, बाल तस्करी के कारणों में बंधुआ मजदूरी, अवैध रूप से बच्चा गोद लेना, भीख मंगवाना, पॉकेट मारी कराना, वेश्यावृत्ति आदि प्रमुख हैं, वह बच्चे भी बाल तस्करी का शिकार होते हैं जो घर से किसी कारण से चले जाते हैं या किन्हीं कारणों से अपनों से बिछड़ जाते हैं, बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं, उनकी सुरक्षा करना हमारा दायित्व है ।
किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य सतीशचंद्र शर्मा ने कहा कि हजारों बच्चे गरीबी व बुरे बर्ताव से बचने की चाह में घर से भागकर इस उम्मीद में ट्रेन में सवार होते हैं कि अब उन्हें दुर्व्यवहार और गरीबी से छुटकारा मिल जायेगा लेकिन इनमें से ज्यादातर बच्चे अपराधी तत्वों व तस्करों के चंगुल में फंस जाते हैं और इससे बाल मजदूर, बंधुआ मजदूर और घरेलू नौकर भिक्षावृत्ति वेश्यावृत्ति जैसे कार्य में भी धकेल दिया जाता है, गुमशुदा बच्चो के इस गंभीर मुद्दे पर सतत एवम सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है, घर से बिछुडे बच्चो की मदद कर उन्हें वापस घर पहुंचाने में मदद करे, उन्होंने बताया कि इस तरह के बच्चों के लिए पहला प्रयास रहता है कि उन्हें उनके घर भेजा जाये, किसी वजह से घर तक संपर्क नहीं हो पा रहा है तो बालगृह इनकी शरण स्थली होती हैं, मथुरा में 10 साल तक के बच्चों के लिए बाल गृह है, इससे बड़े बच्चों को फिरोजाबाद भेजा जाता है, सरकार के इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं हैं, यह बच्चे किसी भी राजनीतिक दल के लिए वोट बैंक नहीं हैं ।