प्रशासन ने चिन्हित कीं जलभराव से जूझ रही 74 ग्राम पंचायत
प्रशासन ने चिन्हित कीं जलभराव से जूझ रही 74 ग्राम पंचायत
-जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में दिये आवश्यक निर्देश
-जलभराव की जद में हैं जनपद की एक सैंकड़ा से भी अधिक ग्राम पंचायत
-जल निकासी का प्रबंधन नहीं होने से तमाम गांव झेल रहे हैं जलभराव का दंश
मथुरा । अक्सर देखा जाता है कि किसानों को बरसात का बेसब्री से इंतजार रहता है, अच्छी बरसात अच्छी खेती की गारंटी देती है, बावजूद इसके जनपद की 74 ग्राम पंचायत ऐसी चिन्हित की गई हैं जहां काले मेघ देखकर ग्रामीणों की चिंता की सीमा नही रहती है, जिला प्रशासन ने पिछले वर्षों में बरसात के दिनों में जलभराव की जद में आने वाली ऐसी 74 ग्राम पंचायतों को चिन्हत किया है, इन ग्राम पंचायतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है अथवा जो संसाधान हैं उनका बेहतर उपयोग नहीं हो पाता है और बरसात में इन ग्राम पंचायतों की हालत बेहद खराब हो जाती है ।
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक बैठक में जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि वर्षा से पूर्व सभी नालों व नहरों की शत प्रतिशत सफाई करायें, समस्त बीडीओ अपने-अपने क्षेत्रों में नहरों की सफाई की चेकिंग करें और जिलाधिकारी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि यदि किसी सफाई कार्य में लापरवाही मिलती है तो संबंधित ए.ई, जे.ई आदि के विरुद्ध कार्यवाही की जायेगी, उन्होंने निर्देश दिए कि विगत वर्ष में जलभराव की समस्या वाले 74 ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर सभी प्रकार की आवश्यक व्यवस्था कराना पूर्व में सुनिश्चित करें व जलभराव प्रभावी क्षेत्र में विशेष सफाई अभियान चलायें ।
जलभराव की जद में आने वाली ग्राम पंचायतों में जहां वर्षा जल की निकासी के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है, वहां इस तालाब पोखरों को गहरा कराया जा रहा है जिससे बरसात का अधिक से अधिक पानी इन तालाबों और पोखरों में एकत्रित हो और जलभराव की समस्या से कुछ हद तक निपटा जा सके, जहां जल निकासी की व्यवस्था है, वहां संभावित प्रयास किये जा रहे हैं, एक दशक पहले तक अधिकांश ग्रामों की कनेक्टिविटी कच्चे रास्तों से थी, इन रास्तों में कुछ दगडे थे जिनकी संरचना ऐसी थी कि यह तालाब पोखरों में पानी पहुंचाने और अधिक पानी होने पर उसे गांव से बाहर निकालने में सक्षम थे, यह दगडे जमीन से कुछ नीचे होते थे जिससे वर्षा का अतिरिक्त पानी इन दगडों से नाले तक पहुंचात था और नाले नदी या बड़ी कैनाल से कनेक्ट थे, ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए इन दगडों को बिना सोचे समझे पाट दिया गया, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना सहित कई योजनाओं के तहत कंक्रीट की सड़क बना दी गई, यह सड़क समतल भूमि से उंची हैं, इस दौरान उनकी दगडों की उपयोगिता का ध्यान नहीं रखा गया, गांवों को जाने के लिए पक्की सडक तो मिल गई लेकिन वाटर स्टोरेज सिस्टम ध्वस्त हो गया, कनेक्टिविटी खत्म होने से जल भंडार स्रोतों पर अवैध कब्जे हो गये और तमाम ग्राम पंचायतों में जलभराव की समस्या पैदा हो गई ।