केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने रेलवे के आदेश को किया निरस्त


केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने रेलवे के आदेश को किया निरस्त
-रेलवे द्वारा मनमाने ढंग से अनुकम्पा नियुक्ति से मना किए जाने के आदेश को कैट ने किया निरस्त  
-उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्त द्वारा याचिनी की गई बहस के आधार पर कैट ने दिया आदेश
  प्रयागराज । याचिनी के पति की नियुक्ति अनुकम्पा आधार पर उसके पिता हरपत सिंह की मृत्यु के बाद 21 सितम्बर 2011 को आप्रेन्टिस फिटर ग्रेड III पद पर हुई थी जिसके बाद उसे तीन साल की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया, 18 अक्टूबर 2014 को याचिनी के पति की हत्या हो गई, याचिनी ने सितम्बर 2015 को स्वयं की अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया जिसे रेलवे अधिकारियों ने 17 जून 2016 को नियमों के अन्तर्गत नही होने का हवाला देते हुए विचार योग्य नहीं माना जिसपर याचिनी ने कैट इलाहाबाद में अपील दाखिल की । 
    केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद ने याचिनी की अपील को स्वीकार करते हुए 22 मार्च 2023 को आदेश पारित करते हुए कहा कि विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि अनुकम्पा नियुक्ति अस्थायी, तदर्थ या काम चलाऊ या प्रशिक्षु के पद पर नहीं की जा सकती, अनुकम्पा नियुक्ति हमेशा नियमित पद पर होगी, याचिनी के पति को नियमित कर्मचारी मानते हुए याचिनी के अनुकम्पा नियुक्ति के प्रार्थना पत्र को नियमानुसार विचार किये जाने के लिए रेलवे को आदेश दिया, रेलवे अधिकारियों ने पुनः याचिनी के प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि याचिनी के पति की तीन साल की प्रशिक्षण अवधि पूरी नहीं हुई थी लिहाजा याचिनी की नियुक्ति पर विचार नहीं किया जा सकता है और याचिनी के पति की माँ द्वारा नामित उसकी पुत्री को नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जिससे क्षुब्ध होकर याचिनी ने केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद में पुनः अपील दाखिल की । 


   वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्त ने याचिनी की ओर से पक्ष रखते हुए केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण में कहा कि एक बार न्यायालय द्वारा विधिक सिद्धांत के अनुरूप याचिनी के पति की नियुक्ति को नियमित पद पर मानते हुए याचिनी के आवेदन पत्र को विचार करने का आदेश दिया जा चुका है जिसके विपरीत रेलवे अधिकारियों द्वारा मनमाने पूर्ण ढंग से पुनः निरस्त करना अन्याय पूर्ण है, रेलवे द्वारा यह कहना कि याचिनी के पति की तीन साल की प्रशिक्षण अवधि पूरी नहीं हुई थी, गलत है, रेलवे अधिकारियों ने स्वयं यह माना है कि याचिनी के पति ने अपनी तीन साल की प्रशिक्षण अवधि को पूर्ण कर लिया है और प्रशासनिक कारणों से उसकी व्यावसायिक परीक्षा नहीं लिया जा सका, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री गुप्त के तर्कों को सुनने व पत्रावली के अनुशीलन के पश्चात केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद ने रेलवे अधिकारियों के मनमाने आदेश 23 मई 2023 को निरस्त कर याचिनी की नियुक्ति के आवेदन पर रेलवे अधिकारियों को तीन माह में नियमानुसार निर्णय लेने का आदेश दिया है‌ ।

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