यमुना खादर : हर साल की आपदा से आजिज हैं यहाँ के वाशिंदे

यमुना खादर : हर साल की आपदा से आजिज हैं यहाँ के वाशिंदे
-यमुना की तलहटी में जमीन खरीद कर मकान बनाने का हो रहा है पछतावा
-बाढ का पानी घरों में घुसा, मकानों में पड़ रहीं हैं दरारें, सीलन से बैठ रहे हैं फर्श
     मथुरा । जिले में साल दर साल बरसात के मौसम में यमुना में आ रहे उफान से अब खादर के वाशिंदे आजिज आ चुके हैं, वह अब पछता रहे हैं और उस घडी को कौस रहे हैं जब उन्होंने यमुना की तलहटी में जमीन खरीदने और मकान बनाने का मन बनाया था, यमुना में उफान आने से ना सिर्फ लोग बेघर हुए हैं बल्कि किसानों की सारी फसलें भी बर्बाद हो गई हैं, इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है ।


    यमुना में आई बाढ़ ने ब्रजवासियों को मानसिक के साथ-साथ शारीरिक चोट भी पहुंचाई है, अपने आशियाने के साथ जमा पूंजी बचाने के दौरान लगी चोटें शायद ही वह कभी भुला पायेंगे, अब बाढ़ के बाद प्रभावित क्षेत्रों में जल और मच्छर जनित सहित कई दूसरी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, यमुना का पानी अब धीरे धीरे उतर रहा है, ऐसे में मलेरिया, डेंगू, चिकगुनिया, हैजा, त्वचा और श्वसन जैसी गम्भीर बीमारियों की चपेट में लोगों के आने की संभावना बढ़ गई है । 


  महर्षि दयानंद सरस्वती जिला अस्पताल के डॉ0 अमन ने कहा कि बाढ़ के आने और उसका पानी उतरने पर कई तरह की समस्या देखने को मिलती है। बाढ़ में सांप और दूसरे कीड़ मकोड़े के काटने की घटना बढ़ जाती हैं। बाढ़ से कुत्ते भी हमलावर होकर काट लेते हैं। बाढ़ की चपेट में आने पर व्यक्ति को डायरिया और आई फ्लू हो जाता है, जब बाढ़ का पानी कम होने लगता है तो मच्छर जनित बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है, साथ ही बाढ़ से प्रभावित ऐसे लोग जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं, दवा का सेवन नही करने की वजह से उनकी परेशानी और बढ़ जाती है, ऐसे में लोग साफ सफाई का जरूर ध्यान रखें । 
   यमुना में उफान आने से ना सिर्फ लोग बेघर हुए हैं बल्कि किसानों की सारी फसलें भी बर्बाद हो गई हैं, इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, मथुरा और वृंदावन के यमुना खादर, शेरगढ़, छिनपारई, सदर बाजार, पानीगांव, लक्ष्मीनगर, महावन, गोकुल, कोयला की कुछ कॉलोनियों में भी पानी घुस गया है, मथुरा वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियां व जिले के करीब 36 गांव टापू बन गए हैं। इन क्षेत्रों का किसान यमुना का जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वह फिर से खेतों में लौटकर नई फसलें लगा सकें, यमुना डूब क्षेत्र में किसानों ने अधिकतर सब्जी की फसलें उगाईं थीं। इनमें बैंगन, भिंडी, लौकी, मूली, गाजर, टमाटर, गोभी, मटर, आलू, प्याज और मिर्च समेत अन्य फसलें शामिल थीं। 
   किसानों ने बताया कि वह फसलें उगाने के लिए जमीन को पट्टे पर लेते हैं, इसके लिए वह अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और बैंकों से लोन लेते हैं। उनका कहना है कि उगाई हुई फसलों में से कुछ हिस्सा वह अपनी जरूरतों के मुताबिक रख लेते हैं, बाकी कि फसलें वहफसल बेचकर जो पैसे आते हैं, उसी से ब्याज और उधार के पैसे देते हैं लेकिन बाढ़ ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। मानसिक के साथ शारीरिक चोट भी पहुंचाई है। अपने आशियाने के साथ जमा पूंजी बचाने के दौरान लगी चोटें शायद ही वह कभी भुला पाएं। यही नहीं यमुना नदी के उफान ने न केवल लोगों के घर उजाड़े, बल्कि उनकी सेहत पर भी गहरा असर डाला है।
   बाढ़ प्रभावित इलाकों में बने राहत शिविरों में चोटिल और बीमार लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है, विभिन्न राहत शिविरों में 3000 लोगों को रैक्यू करके पहुंचाया गया है। इससे करीब एक हजार से अधिक लोगों का इलाज किया गया। से चोटिल होने के कई मामले सामने आए हैं। इनमें बच्चों और पुरुषों में ज्यादातर हाथों में गहरे कट, सिर पर चोट और पैरों में गंभीर घाव जैसी दिक्कतें देखने को मिलीं, यमुनापार क्षेत्र में बाढ के पानी से मकान गिर गया। यमुना का जलस्तर बढ़ने से मथुरा और वृंदावन में घर डूबते जा रहे हैं। वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर मार्ग पर पानी पहुंच गया है। वहीं मथुरा के अयोध्या नगर में हुए जलभराव से एक मकान गिर गया, गनीमत यह रही कि इस हादसे में परिवार के लोग बाल बाल बच गए, सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई, जिला प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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