अधिवक्ताओं को विज्ञापन की अनुमति प्रतिबंधित करने वाले प्रावधान
भारत में अधिवक्ताओं को विज्ञापन की अनुमति प्रतिबंधित करने वाले प्रावधान
"द एडवोकेट्स एक्ट, 1961" की धारा 49 की उपधारा 1(c) "बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया" को अधिवक्ता के पेशेवर आचरण और शिष्टाचार के मानकों पर नियम बनाने की शक्ति प्रदान करती है, बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया (Bar Council of India) द्वारा निर्धारित किये गये "अधिवक्ता के व्यावसायिक आचरण और शिष्टाचार मानक" के खंड 4 की धारा 36 के अनुसार अधिवक्ता के व्यावसायिक आचरण संबंधी निम्नलिखित नियम बनाये गये हैं:-
1- एक अधिवक्ता प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विज्ञापन और व्यवसाय को लुभाने वाले कार्य नहीं करेगा, चाहे उसका माध्यम सर्क्युलर, विज्ञापन, दलाल, व्यक्तिगत संचार ही क्यों ना हो, कोई भी अधिवक्ता किसी अख़बार की ऐसी टिप्पणियों तथा फोटोग्राफ का उपयोग नहीं करेगा जिनका संबंध उस अधिवक्ता से जुड़े किसी मामले से हो ।
2- किसी भी अधिवक्ता के साइन-बोर्ड या नेमप्लेट उचित आकर की होनी चाहिए तथा साइन-बोर्ड, नेमप्लेट और लेखन सामग्री से यह संकेत नहीं मिलना चाहिये कि वह किसी बार काउंसिल या किसी एसोसिएशन का अध्यक्ष या सदस्य है या वह किसी व्यक्ति तथा संस्था से किसी विशेष कारण के बिना जुड़ा हुआ है या वह कभी जज या महाधिवक्ता रहा है ।
अगर कोई अधिवक्ता इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस अधिवक्ता पर "द एडवोकेट्स एक्ट, 1961" की धारा 35 के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जायेगी, इस धारा के अनुसार, किसी भी राज्य की बार काउंसिल को यह अधिकार है कि वह किसी शिकायत को ख़ारिज कर सकती है, साथ ही अधिवक्ता को फटकार लगाने के साथ-साथ उसे सीमित समय के लिये प्रैक्टिस से भी वंचित कर सकती है तथा उसका नाम राज्य की अधिवक्ता सूची से बाहर भी कर सकती है ।