"मथुरा कारागार में जन्मे कन्हाई", "गोकुल नंद घर बाजत बधाई"
"मथुरा कारागार में जन्मे कन्हाई", "गोकुल नंद घर बाजत बधाई"
-बेड़ी टूटी हाथ की खुले बंधन पांव, प्रभु की लीला देखिये सुन्दर गोकुल गांव
-शुक्रवार को गोकुल में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा नंदोत्सव
मथुरा । भाद्र मास कृष्ण पक्ष अष्टमी की मध्य रात्रि को कंस के कारागार में अवतरित हुए वासुदेव नंदन सुबह गोकुल में नंदनंदन हो गये, कान्हा के जन्म की खुशियां गोकुल में मनाई गईं, गोकुल में बधाई गायन गाये जाने लगे, "नंद के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल की", "यशोदा जायो ललना में वेदन में सुनि आई", सूर्य की पहली किरण के साथ ही गोकुल में खुशियां छा गईं, ग्वाल, ग्वालिन नंद भवन में जुटने लगे, गाजे बाजे के साथ नंद यशोदा बालकृष्ण को डोले में विराजमान कर नंद भवन से नंद चौक पहुंचे ।
कान्हा के जन्म की खुशियां नंद चौक पर मनाई गईं, इस बार गोकुल की छटा देखते ही बन रही है, गोकुल नगर पंचायत के चेयरमैन संजय दीक्षित ने बताया कि गोकुल धाम को कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के लिए इस बार विशेष रूप से सजाया गया है, यमुना के घाटों से लेकर गांव की गलियों तक रंग बिरंगी विद्युत सजावट की गई है, गोकुल के सभी प्रवेश द्वारों पर तोरण बांधे गये हैं, आम व केला की पत्तियों के नंद चौक को सजाया गया है, परंपरागत तैयारियों के साथ ही साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा गया है, यमुना में भरपूर पानी है इसलिए यमुना घाटों की शोभा भी देखते ही बन रही है, मान्यता के अनुसार कान्हा के प्राकट्य के बाद पिता वासुदेव कोयला घाट से उन्हें गोकुल छोड़ने गए थे, कान्हा के चरण छूने को बेताब यमुना की लहरें देख घबराए वासुदेव ने पुकार लगाई "कोई लेऊ", यही शब्द इस गांव के जन्म के आधार बने, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर यहां कोई धार्मिक आयोजन नहीं होता लेकिन शरद पूर्णिमा पर अवश्य तिल के तेल से भरे हजारों दीप प्रज्ज्वलित कर यमुना मैया को अर्पित किए जाते हैं ।