गोकुल में बड़े ही हर्षोल्लास से मना नन्दोत्सव, श्रद्धालु हुए उल्लासित
गोकुल में बड़े ही हर्षोल्लास से मना नन्दोत्सव, श्रद्धालु हुए उल्लासित
-मथुरा नगरी में कान्हा ने जन्म लियो तो गोकुल में बजे नगाड़े री, मैं पुरानन में सुन आईं’
मथुरा । "यशोदा जायो ललना मैं वेदन में सुन आई, मैं वेदन में सुन आई, पुरानन में सुन आई", मथुरा में कान्हा ने जन्म लियो तो गोकुल मैं बजे नगाड़े री मैं वेदन में सुन आई, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी की आधी रात को मथुरा में कंस के कारागार में जन्मे कान्हा के जन्म की खुशियां नवमी को दिन में गोकुल में मनाई गईं, मध्य रात्रि तक कान्हा के अवतरण की अधीरता से प्रतीक्षा करते रहे श्रद्धालु मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने के बाद रात में गोकुल की ओर प्रस्थान करने लगे थे ।
श्रद्धालुओं की अधीरता अब कान्हा के जन्म की खुशियों में शामिल होने को लेकर थी, नंद भवन और नंद चौक पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड जुटने लगी, चहुंओर कान्हा के जन्मोत्सव का उल्लास था, हर कोई कान्हा के जन्म की खुशियों में शामिल होने को उत्सुक दिन रहा था, समूचे ब्रज में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को धूमधाम से नांदोत्सव मनाया गया, मुख्य आयोजन गोकुल के नंद चौक पर हुआ, लाला के जन्म की बधाई गई और खुशी में उपहारों लौटाये गये, सुबह नंद भवन से बैंड बाजों की धुन पर डोला निकला तो डोले के पीछे उत्साह से लबरेज श्रद्धालु नंद चौक की ओर चल पडे ।
बैंड बाजों की मधुर धुनों पर थिरकते भक्त डोले के साथ नंद चौक पर पहुंचे, यहां पहले से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा था, नंद चौक पर माता यशोदा और नंद बाबा के साथ नन्हे कान्हा विराजे तो इस अद्भुत क्षण का साक्षी बन श्रद्धालु धन्य हो गये, दधिकांधा की छींटों के लिए श्रद्धालु मचल रहे थे, एक साथ हाथ उठाकर "नंद के आनंद भयो जै कन्हैया लाल की", "हाथी दीने घोडा दीने और दीनी पालकी" गा उठते तो नंदबाबा उपहारों की बरसात कर देते, प्रसाद रूपी उपहार लूट कर श्रद्धालु हमेशा के लिए इस उपहार को संजोये रखने की मंशा से अपने पास रख लेते, यह क्रम लम्बे समय तक चला, इसके बाद नन्हे कान्हा के साथ माता यशोदा और नंद बाबा नंद भवन को लौट गये, श्रद्धालु गाते बजाते पूरे गोकुल में इधर से उधर भ्रमण कर खुद को धन्य करते रहे ।