विजयदशमी : एक बार फिर हुई असत्य पर सत्य की विजय, धूंधूं कर जला रावण का पुतला

विजयदशमी : एक बार फिर हुई असत्य पर सत्य की विजय, धूंधूं कर जला रावण का पुतला
-रामलीला मैदान में हुआ रावण और अहिरावण के पुतलों का दहन, श्रीराम की हुई जयघोष
-मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने लंका नरेश रावण की नाभि पर किया प्रहार, धराशायी हुआ रावण
     मथुरा। श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में रामलीला मैदान महाविद्या पर रावण व अहिरावण वध की लीला का मंचन हुई, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम द्वारा युद्ध के दौरान रावण पर बारम्बार वाण चलाने के बावजूद हर बार रावण का शीश बापस आ जाते हैं, तभी विभीषण द्वारा रावण की नाभि में अमृत की जानकारी मिलने पर भगवान श्रीराम जैसे ही रावण की नाभि में अग्निवाण चलते हैं वैसे ही रावण का 71 फ़ीट ऊंचा पुतला बहुत ही तीव्र अट्टाहस करते हुए जमीन पर जा गिरा और अंत समय जय श्री राम कहते हुए धराशायी हो जाता है, रावण के धराशायी होते ही आसमान में सतरंगी आतिशबाजी होने के साथ ही रामलीला मैदान भगवान श्रीराम के जयघोषों से गुंजायमान हो जाता है, इस दौरान मैदान रामभक्तों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था ।
      रावण पाताल लोक से अपने प्रतापी पुत्र अहिरावण को बुलाने के लिए भगवान शंकर की उपासना करता है, रावण के यानमग्न होने से पाताल में अहिरावण का मन विचलित होता है, अहिरावण लंका में रावण के पास पहुंच कर कारण जानना चाहता है, रावण युद्ध का पूरा समाचार सुनाने के पश्चात शत्रुओं के नाश का उपाय करने को कहता है, रावण के आदेश पर अहिरावण अपने चाचा विभीषण का वेष बनाकर रामादल में मोहिनी मंत्र से सभी को निद्रित कर राम व लक्ष्मण को पाताल में कामदा देवी की बलि चढ़ाने के लिये ले जाता है, हनुमानजी प्रभु की खोज में जाते समय मार्ग में गर्भवती गिद्धनी व गिद्ध के संवाद से स्पष्ट हो जाता है कि अहिरावण प्रभु राम व लक्ष्मण को ले गया है, हनुमान जी पाताल लोक में अपने पुत्र मकरध्वज से मिलते हैं जो अहिरावण की सेवा में लगा है, वह दोनों भाइयों का पता बताता है, हनुमान जी अहिरावण का वध कर मकरध्वज को पाताल का राजा बनाकर राम और लक्ष्मण को रामादल में ले आते हैं ।
      अहिरावण की मृत्यु के बाद रावण स्वयं युद्ध करने जाता है, भयंकर युद्ध होता है, युद्ध में ब्रह्मास्त्र चलाकर लक्ष्मण को मूर्छित कर देता है, यह देख हनुमान जी रावण पर मुष्टिक प्रहार करते हैं, रावण मूर्छित होकर गिरता है, फिर मूर्छा टूटने पर उठता है, रावण विजय यज्ञ करता है, वानर भालू उसके यज्ञ का विध्वंश कर देेते हैं, ततपश्चात युद्ध में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम लंकेश रावण की मायावी शक्तियों का नष्ट कर देते हैं और रावण के नाभि में बने अमृत कुण्ड पर अग्नि वाण चलाने पर रावण राम राम कहते हुए पृथ्वी पर गिर पड़ता है, राम राजनीति के ज्ञाता व महान पंडित रावण से राजनीति की शिक्षा के लिए लक्ष्मण को भेजते हैं, रावण शिक्षा प्रदान कर श्रीराम से कहता है कि विजय मेरी ही हुई है क्योंकि मैं आपके बैकुण्ठ लोक में जा रहा हूं लेकिन आप मेरे जीवित रहते हुये लंका में प्रवेश नहीं कर पाये ।
    मथुरा के रामलीला मैदान में प्रभु के अग्नि बाण चलाते ही रावण के पुतले की नाभि से अमृत वर्षा, मुस्कुराहट व घोर गर्जना के साथ धूं धूंकर जल उठा जिसे देखकर सम्पूर्ण मैदान में उपस्थित जन समुदाय राजा रामचंद्र की जय घोशों से गूंज उठा और भव्य आतिशबाजी हुई, रामलीला सभा के अध्यक्ष जयंती प्रसाद अग्रवाल, प्रधानमंत्री मूलचंद गर्ग, उपसभापति जुगल किशोर अग्रवाल, नन्दकिशोर अग्रवाल, पूर्व राज्य मंत्री रविकांत गर्ग, गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, मदनमोहन श्रीवास्तव, विजय किरोड़ी, शैलेश, अजय मास्टर, शशांक पाठक, अजयकांत गर्ग, राजेश, धीरज गोयल, अतुल बंसल, माधव अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, नरेन्द्र, दिनेश गोयल, अनुराग मित्तल, विनोद सर्राफ, नागेन्द्र मोहन मित्तल, उमेश, प्रदीप गोस्वामी, अमित भारद्वाज, संजय, अनूप, गौरव, हिमांशु, कन्हैया आदि मौजूद थे । 

 

Advertisement
Advertisement
About Loktantra

भारत दुनियाभर का एक मात्र ऐसा लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर एक अहम स्थान रखता है हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था भी बेमिसाल है यहां ग्राम ,मोहल्ला स्तर से लेकर जनपद, प्रदेश व देश स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित है। राज्य व केंद्रीय शासन द्वारा देश के प्रत्येक जनता की समस्याओं का ध्यान रखते हुए प्रशासनिक व्यवस्थाएं क्रियान्वित की जाती हैं |लोकतंत्र का आगाज उसी लोकतंत्रिक व्यवस्था की कड़ी के रूप में प्रत्येक नागरिक की आवाज का आगाज करते हुए समाचार प्रसारित कर शासन प्रशासन तक समस्याओं को प्रदर्शित कर व शासन-प्रशासन की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने में सजग है।

Total Users: 427126
Get In Touch

Office : faujadar market, opp. Patiram mandir, sonkh road, krishna nagar, mathura-281004

7417674275

[email protected]

Copyright ©2024 InzealInfotech. All rights reserved.