जिला अस्पताल में क्लब फुट बीमारी का होता है निःशुल्क इलाज
जिला अस्पताल में क्लब फुट बीमारी का होता है निःशुल्क इलाज
-भ्रांतियों में नही आयें, लाइलाज नहीं टेढ़े पंजे की बीमारी-मोहम्मद ईशान
-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अनुष्का फाउंडेशन द्वारा चलाया जा रहा है अभियान
मथुरा । अक्सर देखा जाता है कि कई बच्चों का जन्म टेढ़े पंजे के साथ होता है और यह जीवन भर के लिए अभिशाप बन जाता है, लोगों में इस बीमारी को लेकर आज भी तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, लोग इसका इलाज नहीं कराते, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इस बीमारी को दैवीय प्रकोप अथवा लाइलाज माना जाता है जबकि जिला चिकित्सालय में इस बीमारा निःशुल्क इलाज उपलब्ध है और प्राइवेट अस्पतालों में भी इलाज है लेकिन बहुत महंगा है, अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रदेशभर में एक अभियान चलाया जा रहा है ।
अनुष्का फाउंडेशन की ओर से मथुरा और अलीगढ़ जनपद में इस जिम्मेदारी को निभा रहे मोहम्मद ईशान ने बताया है कि यह क्लब फुट नामक बीमारी है, यह बच्चे में मां के पेट से ही आती है, इस बीमारी में बच्चे का पंजा अंदर की ओर मुडा होता है, यह जन्मजात बीमारी है और बच्चे में मां के पेट से ही आती है, इसे सीटीईबी भी बोलते हैं, इसका इलाज निःशुल्क किया जा रहा है, इसमें तीन स्टेज होती हैं, पहली स्टेज में प्लास्टर लगाकर बच्चे के पैर को सीधा किया जाता है, दूसरी स्टेज में छोटा सा कट दिया जाता है जि सके बाद बच्चे को पांच साल तक जूता पहनाया जाता है जिससे उसका पैर फिर से नही मुड जाये, इस पूरी प्रक्रिया में चार से पांच साल का समय लगता है, सही समय पर इलाज हो जाये तो उसे कोई समस्या नहीं आयेगी ।
उन्होंने बताया कि जिला चिकित्सालय में डा.नीरज अग्रवाल के निर्देशन में संस्था द्वारा इस अभियान को सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है, मथुरा में फाउंडेशन 2019 से काम कर रहा है, अभी तक करीब 250 बच्चों का इलाज कर चुके हैं, बच्चे पैरों से चलकर हमारे यहां आ रहे हैं, प्राइवेट में एक बच्चे पर करीब एक लाख रुपये तक का खर्चा आ जाता है, कोई भी इस तरह का बच्चा मिलता है तो उन्हें समय पर इलाज दिलायें, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के चलते लोग यह जानते ही नहीं हैं कि इस बीमारी का इलाज संभव है, इस बीमारी को लेकर लोगों में तमाम तरह की भ्रांतियां भी हैं, प्रत्येक गुरुवार को मथुरा में जिला चिकित्सालय में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की ओपीडी की जाती है और फिर पूरा इलाज निशुल्क किया जाता है ।