हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर की तीसरी बार अवमानना कार्यवाही

हाईकोर्ट ने सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर की तीसरी बार अवमानना कार्यवाही
-राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा लगातार की जा रही है आदेश की अवहेलना 
-उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर को सुनवाई में सूचना आयुक्त से एक माह में मांगा स्पष्टीकरण   
-हाईकोर्ट ने 21 अप्रेल व 25 जुलाई को भी माना था राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती को प्रथमदृष्टया दोषी  
वादी बालकृष्ण अग्रवाल ने विकास प्राधिकरण से मांगी थीं डैम्पियर नगर से सम्बन्धित जानकारियाँ
डैम्पियर नगर के व्यावसायिक मानचित्रों की सूची आदि के बारे में मांगी गईं थीं सत्यापित सूचनायें
    प्रयागराज । हाईकोर्ट द्वारा बुधवार 31 अक्टूबर को राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना के मामले में तीसरी बार सख्त कार्यवाही की गई है, राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर यह कार्यवाही मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण से जुड़े एक मामले में वादी बालकृष्ण अग्रवाल को सूचनायें नही दिलाने व जनसूचना अधिकारी पर सूचना का अधिकार के तहत कार्यवाही नही करने के साथ ही हाईकोर्ट के आदेशों की लगातार अवमानना किये जाने पर की गई है, जस्टिस रोहितरंजन अग्रवाल ने उक्त मामले का तीसरी बार संज्ञान लेते हुए आगामी एक माह में आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है, साथ ही 20 दिसम्बर को सुनवाई की तिथि निर्धारित करते हुए राज्य सूचना आयुक्त को अपने अधिवक्ता के माध्यम से स्पष्टीकरण देने को कहा है, सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर हुई इस कार्यवाही से उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में हड़कम्प मच गया है, वहीं सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती की मनमानी पूर्ण कार्यशैली से परेशान आरटीआई एक्टिविस्टों में उम्मीद की एक किरण जाग गई है ।


        गौरतलब हो कि मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण से मथुरा शहर के कृष्णा नगर निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट एवं पत्रकार बालकृष्ण अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत 28 दिसम्बर 2020 को शहर के पॉश एरिया डैम्पियर नगर के भू उपयोग और डैम्पियर नगर में व्यावसायिक निर्माणों आदि के सम्बंध में कुल पांच बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, विकास प्राधिकरण द्वारा उक्त सम्बंध में जानकारी नहीं देने पर प्रार्थी द्वारा वर्ष 2021 की 27 फरवरी और 28 जुलाई को विप्रा सचिव जोकि विकास प्राधिकरण के प्रथम अपीलीय अधिकारी भी हैं, से वांछित सूचनाओं को प्रदान किये जाने का आग्रह किया गया लेकिन मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के सचिव द्वारा प्रार्थी के आवेदन पर कोई भी संज्ञान नही लिया गया और ना ही विप्रा सचिव द्वारा प्रार्थी को वांछित सूचनाओं को ही उपलब्ध नहीं कराया गया ।


     वादी बालकृष्ण अग्रवाल ने उक्त प्रकरण को लेकर राज्य सूचना आयोग लखनऊ के समक्ष 17 सितम्बर 2021 को द्वितीय अपील दाखिल की जिस पर राज्य सूचना आयोग लखनऊ के सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा 21 सितम्बर 2022 को सुनवाई की गई, राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष सुनवाई दौरान मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के जनसूचना अधिकारी के प्रतिनिधि द्वारा भ्रामक और गुमराह किये जाने वाली सूचना उपलब्ध कराये जाने पर वादी बालकृष्ण अग्रवाल ने राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष अपनी आपत्ति व्यक्त करते हुए जनसूचना अधिकारी द्वारा दी गईं सूचनाओं को सही व स्पष्ट रूप से देने के साथ ही सूचनाएं सत्यापित रूप से दिलाने का आग्रह किया लेकिन राज्य सूचना आयुक्त ने वादी के पक्ष को अनसुना करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से एक पक्षीय विभागीय हित में द्वितीय अपील को निस्तारित कर दिया ।


      पीड़ित बालकृष्ण अग्रवाल ने राज्य सूचना आयोग में उक्त प्रकरण पर पुनः सुनवाई के लिये आवेदन करने के साथ ही मुख्यमंत्री व राज्यपाल को प्रेषित शिकायती पत्र में उक्त प्रकरण पर उचित कार्यवाही की मांग की, साथ ही राज्यपाल से सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 17 के अंतर्गत राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती के कृत्यों की उच्चस्तरीय विभागीय जांच कराये जाने का आग्रह किया, वहीं उक्त प्रकरण पर उच्च न्यायालय में दायर याचिका पर जस्टिस प्रकाश पाड़िया द्वारा 6 दिसम्बर 2022 को निर्णय सुनाते हुए सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती को याचिकाकर्ता बालकृष्ण अग्रवाल के पुनः सुनवाई प्रकरण पर दो माह में सुनवाई करने और डैम्पियर नगर से सम्बंधित सभी वांछित सूचनाओं को उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया गया था ।
       राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद करीब चार माह में भी वादी को वांछित सूचनाएं नही दिलाने और हाईकोर्ट के आदेश का पालन नही किये जाने पर वादी बालकृष्ण अग्रवाल द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद में राज्य सूचना आयुक्त के विरुद्ध उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर दाखिल अपील पर जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने 21 अप्रेल को राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती को प्रथमदृष्ट्या दोषी मानते हुए एक सप्ताह में अदालत के आदेश के अनुपालन करने का निर्देश दिया लेकिन राज्य सूचना आयुक्त ने हाईकोर्ट के उपरोक्त आदेश का भी कोई पालन नहीं किया जिसपर जस्टिस रोहितरंजन अग्रवाल द्वारा 25 जुलाई को सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती को पुनः दोषी मानते हुए एक बार फिर से एक सप्ताह में आदेश का पालन करने को कहा गया ।
    राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना किये जाने पर जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सख्त रुख अपनाते हुए अजय कुमार उप्रेती की ओर से उपस्थित अधिवक्ता कुनाल रवि सिंह द्वारा आदेश का पालन करने हेतु समय मांगे जाने पर राज्य सूचना आयुक्त को 30 नवम्बर तक स्पष्टीकरण देने की कहते हुए 20 दिसम्बर को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है, वादी बालकृष्ण अग्रवाल की ओर से एडवोकेट कीर्तिमान सिंह व दीपक पटेल द्वारा पैरवी करते हुए अपना पक्ष रखा गया जिसका संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने यह कार्यवाही की है, वहीं हाईकोर्ट द्वारा राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती पर हुई इस कार्यवाही से लखनऊ स्थित राज्य सूचना आयोग में हड़कम्प की स्थिति बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती से पीड़ित सैंकड़ों आरटीआई एक्टिविस्टों में उम्मीद की किरण जाग गई है । 

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