चैत्र नवरात्रि 2023: तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा पूजा, ज्योतिषाचार्य से जान लें मुहूर्त, मंत्र, पूजा विधि और महत्व

आज 24 मार्च शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. आज चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. 10 भुजाओं वाली मां चंद्रघंटा अपने हाथों में चक्र, गदा, धनुष, तलवार, त्रिशूल, कमल, माला, कमंडल आदि धारण करती हैं. वह सिंह पर सवार होती हैं. उनके माथे पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए इनका नाम मां चंद्रघंटा है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त और महत्व.

मां चंद्रघंटा पूजा मुहूर्त 2023
पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ 23 मार्च गुरुवार को शाम 06 बजकर 20 मिनट से हुआ है और यह तिथि आज 24 मार्च शुक्रवार को शाम 04 बजकर 59 मिनट तक है. आज सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 21 मिनट से दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक है. रवि योग दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 20 मिनट तक है.

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मां चंद्रघंटा के पूजा का महत्व
1. मां चंद्रघंटा के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन खुशहाल होता है. वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर होती हैं.

2. जिनके विवाह में किसी भी कारण से देरी हो रही हो, उसे मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए. जल्द विवाह का योग बन सकता है.

 

3. मां चंद्रघंटा की कृपा से पाप नष्ट होते हैं. साहस और पराक्रम बढ़ता है. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.

4. मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. ये देवी मोक्ष भी प्रदान करती हैं.

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद मां चंद्रघंटा की पूजा विधिपूर्वक करें. सबसे पहले उनको अक्षत्, सिंदूर, कुमकुम, फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें. इस दौरान पूजा मंत्र का उच्चारण करें. उसके बाद मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. चाहें तो खीर भी चढ़ा सकते हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शुक्र ग्रह का दोष दूर हो जाता है.

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मां चंद्रघंटा के मंत्र
बीज मंत्र: ऐं श्रीं शक्तयै नमः
पूजा मंत्र: ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः
स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

मां चंद्रघंटा आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।

 

क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालिक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाए।

मूर्ति चंद्र आकार बनाए। सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बात। पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।

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