Chaitra Navratri 2023: मां कूष्मांडा का महामंत्र, जिसे जपने से मिलता है मनचाहा वरदान
शक्ति का चौथा स्वरूप मानी जाने वाली मां कूष्मांडा की पूजा में जिस मंत्र को जपने से जीवन के सभी कष्ट दूर और मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होते हैं, उसे जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.सनातन परंपरा में चैत्र मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को वासंतिक नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इस नवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि इसी के साथ हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. नवरात्रि 09 दिनों तक की जाने वाली साधना में चौथे दिन की जाने वाली मां कूष्मांडा की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है.
मान्यता है कि मां कूष्मांडा की विधि-विधान से पूजा और मंत्रों का जप आदि करने पर साधक के जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां पलक झपकते दूर हो जाती हैं और उसे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट या भय नहीं रहता है. आइए आज मां कूष्मांडा की पूजा से जुड़े उस महामंत्र के बारे में जानते हैं जिसे जपते ही जीवन की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं.
मां कूष्मांडा की पूजा का आध्यात्मिक महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार जब सृष्टि में चारों तरफ अंधकार छाया हुआ था तब भगवती कूष्मांडा के पावन स्वरूप से इस ब्रह्मांड ने आकार लिया. माता कूष्मांडा की पूजा का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व बताया गया है. माता कूष्मांडा के पावन स्वरूप का संदेश है कि जीवन में कितना भी अंधेरा छाया हुआ हो या फिर कहें कितनी भी परेशानी या दु:ख तकलीफ हो आदमी को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.
मां कूष्मांडा की पूजा का धार्मिक महत्व
कुष्मांडा, जिसे हिंदी में कुम्हड़ा कहा जाता है, उसे देवी दुर्गा के इस चौथे स्वरूप को बलि के रूप में चढ़ाने पर माता की कृपा प्राप्त होती है. इसी प्रकार माता कूष्मांडा का संबंध उस सूर्य देवता से है, जिसके दर्शन हमें हर रोज होते हैं. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर होकर अशुभ फल प्रदान कर रहा है तो उससे जुड़े कष्टों से बचने और उसकी शुभता को पाने के लिए आपको आज नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा और भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. मान्यता है नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय और सभी बाधाएं दूर होती हैं.
मां कूष्मांडा की पूजा का मंत्र
नवरात्रि के चौथै दिन भगवती कूष्मांडा में नीचे दिए गए दो मंत्रो का जप करने का बहुत महत्व है. आप अपनी सुविधा के अनुसार छोटा या बड़ा मंत्र जप के लिए चुन सकते हैं. मान्यता है कि माता के मंत्र को श्रद्धा के साथ जप करने पर साधक को देवी कूष्मांडा से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है.
‘ॐ कूष्माण्डायै नम:।।’
‘या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)