कॉरिडोर : वृंदावनवासी हैं ख़ामोश, गोस्वामी हैं मुखर

कॉरिडोर : वृंदावनवासी हैं ख़ामोश, गोस्वामी हैं मुखर
-सरकार की मंशा को देखते हुए छंट रहा है विरोध का कारवां 
    मथुरा । ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण पर बात निर्णायक मोड तक पहुंच गई है। प्रदेष सरकार इस कार्य में रूचि दिखा रही है। कॉरिडोर कितने क्षेत्रफल में बनेगा, धन की व्यवस्था कैसे होगी और कॉरिडोर बनने के बाद व्यवस्थाओं का संचालन कैसे होगा यहां तक बात तय हो गई है। सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला आ गया है, हालांकि मंदिर से जुडे गोस्वामी एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट गये हैं लेकिन सरकार न्यायालय के फैसलों के अनुरूप कार्यवाही को तेजी से आगे बढा रही है ।
  वहीं दूसरी ओर वृंदावन ने इस मद्दे पर मौन साध लिया है। मंदिर से जुडे गोस्वामी परिवार कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं, शुक्रवार को जिले के आलाधिकारियों ने मंदिर परिसर में गोस्वामीजनों से वार्ता की और उनकी बात सुनी। गोस्वामीजनों के विरोध को वृंदावन का समर्थन अभी तक उस स्तर पर मिल नहीं पा रहा है जिसकी परिणाम बदलने के लिए आवश्यकता है। यहां से समर्थन मिले तो बात आगे बढे। 
   सरकार इस मामले में स्पष्ट रूप से रूचि ले रही है, इसलिए वह मौहौल बन नहीं पा रहा है जो सपा सरकार के दौरान सिर्फ श्राइन बोर्ड के गठन की सुगबुहाट पर बन गया था। तत्कालीन सरकार ने एक दम से कदम पीछे खींच लिए थे। हिन्दूवादी संगठन, साधु संत और दूसरे वह कारक गोस्वामिजनों के लिए काम करते नजर नहीं आ रहे हैं जो इस तरह के किसी भी आंदोलन को प्रखर और मुखर बनाने में बेहद महत्वपूर्ण साबित होते हैं, खास कर माहौल बनाने और लोगों की प्रक्रिया तय करने में। गोस्वामीजन लगातार कॉली पट्टी बांध कर कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। 
   शनिवार को गोस्वामी परिवारों के महिलाएं भी सामने आ गई और मंदिर पर कॉरिडोर के विरोध में प्रदर्शन किया, इसके बावजूद वृंदावन के आम जनमानस, साधु संत, भागवताचार्यों तथा धार्मिक संगठनों की ओर से बेहद सावधानी बरती जा रही है। कॉरिडोर बनने जैसी बडी बात पर भी कोई बात नहीं हो रही है, कोई प्रतिक्रया दे भी रहा है तो बेहद सतर्कता के साथ और नपेतुले शब्दो में, हालांकि वृंदावन में कॉरिडोर निर्माण और मंदिर पर एकाधिकार को चुनौती ब्रज की मंदिर व्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव डालेगी, इसे सब महसूस कर रहे हैं।

 

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