
विगत 25 साल में भी सुगम नहीं हुई ब्रज 84 कोस परिक्रमा
विगत 25 साल में भी सुगम नहीं हुई ब्रज 84 कोस परिक्रमा
-ज्यादातर भाजपा सरकारें रहने के बावजूद कब्जा मुक्त नहीं हुई परिक्रमा
मथुरा। ब्रज 84 कोस परिक्रमा को अवैध कब्जों से मुक्त कराने का मामला नया नहीं है, परिक्रमा मार्ग के चौड़ीकरण व यात्री सुविधाओं के विकास के मद्दे उत्तर प्रदेश की विधानसभा लखनऊ में भी गूंजते रहे हैं, 10 मई 2000 को तत्कालीन विधायक स्व0 अजय कुमार पोइया की ओर से भाजपा कार्यकर्ता दिलीप कुमार यादव ने विधानसभा में याचिका दायर कर सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया ।
जिला गंगा समिति सदस्य दिलीप यादव ने बताया कि ब्रज तीर्थ विकास परिषद को इस और ध्यान देना चाहिए। तत्कालीन समय में विधानसभा में मुद्दा उठाने के बाद थोड़ा बहुत काम बृज 84 कोस परिक्रमा को लेकर हुआ लेकिन बाद में फिर बात आई गई हो गई, ब्रज तीर्थ विकास परिषद को तीर्थ स्थलों को जाने वाले मार्गों के किनारे स्थित पुरानी धर्मशाला, प्याऊ एवं बगीचियों का संरक्षण सबसे पहले करना चाहिए। ये वह स्थान है जहां श्रद्धालु रुक कर खाना बनाने, खाने, विश्राम और स्नान आदि करने में इनका उपयोग करते रहे हैं, इन स्थानों पर यात्री सुविधाओं का विकास होना चाहिए, जिन श्रद्धालुओं की वजह से यहां के व्यापारी कारोबारी को रोजगार मिलता है उन्हें जरूरी सहूलियत देने की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। मथुरा की सांसद हेमामालिनी ने ब्रज 84 कोस के पुनरुद्धार का संकल्प लिया है, संभवत सरकार उनकी बात पर गौर करेगी ।