नगर पालिका से नगर निगम, करीब डेढ़ सौ साल का सफरनामा

नगर पालिका से नगर निगम तक, करीब डेढ़ सौ साल का सफरनामा 
-मथुरा में शहर की सरकार का 155 साल पुराना है इतिहास
-कान्हा नगरी के मतदाता दूसरी बार करेंगे अपने महापौर का चुनाव 
-वर्ष 1868 में मिला था मथुरा शहर को नगर निकाय का दर्जा
-आजाद भारत में पहली बार नगर पालिका के अध्यक्ष बने थे एल0पी0 नागर
-वर्ष 2017 में हुआ मथुरा वृन्दावन नगर निगम का गठन, मुकेश आर्यबन्धु बने थे पहले मेयर
      मथुरा । अबकी बार निकाय चुनाव में मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में 7 लाख 72 हजार 942 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, इस सीट पर 3 लाख 30 हजार 140 महिला व 3 लाख 91 हजार 802 पुरुष मतदाता हैं, मंगलवार से नामांकन प्रक्रिया की शुरूआत हो गई है, जिले में करीब 9.55 लाख मतदाता इस बार निकाय चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, चार मई को मतदान होगा और 13 मई को उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला सामने आयेगा, कोसी नगर पालिका और 13 नगर पंचायतों में बेलेट पेपर से जबकि मथुरा वृंदावन नगर निगम क्षेत्र में ईवीएम से मतदान होगा ।
       मथुरा नगर पालिका का गठन एक अक्टूबर 1868 को हुआ जो अधिनियम 1916 के तहत नगरीय निकाय बना था, सरकारी गजट उ0प्र0 इलाहाबाद में 21 फरवरी 56 के भाग-3 में प्रकाशित स्वायत्त शासन विभाग के अनुसार मथुरा को सिटी (नगर) घोषित किया गया, सन 74 में मथुरा नगर पालिका को ऋणी घोषित किया गया और इस कारण पालिका का बजट अधिनियम की धारा-102 के अंतर्गत मंडलायुक्त आगरा की स्वीकृति के अधीन किया गया, 1990 में इसका सीमा विस्तार कर दिया गया और अब 2017 में मथुरा और वृंदावन पालिका समेत 51 गांवों को मिलाकर नगर निगम बना दिया गया है, इसमें 6.20 लाख मतदाता हैं यानि अब नगर निगम का आकार डेढ़ विधानसभा क्षेत्र के बराबर हो गया है । 
       सन 95 में भाजपा के वीरेंद्र अग्रवाल पहले ऐसे चेयरमैन बने जो जनता से सीधे चुने गये थे, इसके बाद फिर भाजपा का बोर्ड आया और सन 2000 में रवींद्र पांडेय अध्यक्ष बने, साल 2006 के चुनाव में लंबे समय के बाद कांग्रेसी बोर्ड अस्तित्व में आया और श्याम सुंदर उपाध्याय उर्फ बिट्टू ने जीत हासिल की, साल 2012 के चुनाव में भाजपा ने मनीषा गुप्ता को लड़ाया और वह बड़ी जीत दर्ज कर चेयरमैन बनीं, मथुरा नगर पालिका परिषद जिले की सबसे पुरानी निकाय है, इसका इतिहास 155 साल पुराना है, इस नगर पालिका में दो बार अध्यक्ष बनने का सौभाग्य सिर्फ श्रीनाथ भागर्व को ही मिला था, देश अगस्त 1947 में आजाद हुआ और उसी साल एल0पी0 नगर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने, उनका कार्यकाल सिर्फ तीन साल का रह पाया, 1950 में चुनाव हुआ जिसमें राय बहादुर जमुना प्रसाद चेयरमैन बने ।

मथुरा निकाय का इतिहास
*मथुरा नगर पालिका का गठन अक्टूबर 1868 में हुआ
*155 साल के इतिहास में दो बार अध्यक्ष सिर्फ श्रीनाथ भार्गव ही रह सके
*आजाद भारत में मथुरा नगर पालिका परिषद के पहले अध्यक्ष एल0पी0 नगर बने
*आजाद भारत में मतदाताओं द्वारा चुने गये पहले मथुरा के चेयरमैन राय बहादुर जमुना प्रसाद
*सन 89 में भाजपा के बांकेबिहारी माहेश्वरी अध्यक्ष चुने गए, उनके चुनाव तक सभासद ही चेयरमैन को चुनते थे ।
*सन 95 में भाजपा के वीरेंद्र अग्रवाल पहले ऐसे चेयरमैन बने, जो जनता से सीधे चुने गए।
*मथुरा नगर पालिका की आखिरी चेयरमैन 2012 में मनीषा गुप्ता रहीं
*2017 में मथुरा और वृंदावन पालिका सहित 51 गांवों को मिलाकर नगर निगम का गठन किया गया
*2017 में नगर निगम के बनने के बाद पहले महापौर बनने का सौभाग्य भाजपा के मुकेश आर्यबन्धु को मिला

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