निकाय चुनाव : ठगा सा महसूस कर रहे जमीनी कार्यकर्ता
निकाय चुनाव : ठगा सा महसूस कर रहे जमीनी कार्यकर्ता
-राजनीतिक पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का हर चुनाव में रहता है यही दर्द
-पार्टी के नाम जरूर बदलते हैं लेकिन परिपाटी नहीं, हर दल में पीड़ा एक जैसी
मथुरा । उत्तर प्रदेश के साथ ही जनपद में भी निकाय चुनावों की रणभेरी बज चुकी है, वहीं सभी राजनीतिक दलों में बेचैनी भी बनी हुई है, सबसे ज्यादा बेचैन है तो वह जमीनी कार्यकर्ताओं में जो वर्षों से अपनी पार्टी की पूरी निष्ठा के साथ सेवा कर रहे हैं, ऐसे निष्ठावान टिकट की बारी में ऐन मौके पर किंतु परंतु का शिकार हो जाते हैं, यह वह निष्ठावान कार्यकर्ता हैं जो बड़े नेताओं की तरह मौका लगते ही पाली नहीं बदलते और हर हाल में पार्टी के साथ रहते हैं, सभी राजनीतिक दलों में इस समय ऐसे कार्यकर्ताओं की कसक एक जैसी है ।
अपनी मेहनत के बल पर टिकट मांग रहे यह खांटी कहे जाने वाले कार्यकर्ता कहीं किसी बाहरी के टिकट ले उडने तो कहीं किसी बड़े नेता के शागिर्द के अचानक प्रबल दावेदार बन कर उभर आने से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, कहीं जातिवाद तो कहीं भाई भतीजाबाद ने इनकी आस पर पानी फेर दिया है, कोई वर्षों की मेहनत पर पानी फिरता देख मन मार कर चुप बैठा है तो कई अपनी पीड़ा छुपा नहीं पा रहा है, इसी श्रृंखला में भाजपा ब्रज क्षेत्र सह संयोजक मीडिया विभाग इं0 वीरभान सिंह चौधरी का कहना हैं कि जमीनी कार्यकर्ता तन मन धन न्योछावर रहते हैं, कार्यकर्ता तन मन धन के साथ पार्टी के प्रत्येक कार्यक्रम एवं केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की योजनाओं को बूथ स्तर पर पहुंचाने का कार्य करता है ।
ई0 वीरभान सिंह का मानना है कि जमीनी कार्यकर्ता को सबसे पहले मौका मिलना चाहिए, जमीनी कार्यकर्ता ही हमारी पार्टी की असल ताकत हैं, जो दिन रात मेहनत में जुटे रहते हैं, कई और कार्यकर्ता भी है जो भागमभाग तो कर रहे हैं लेकिन खुलकर कुछ बोल नहीं पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टिकट मिलने की आस में हाल ही में कई नेता दूसरे दलों से कांग्रेस में शामिल हुए हैं, वह यकायक प्रबल बन गये हैं, ऐसे में वर्षों से पार्टी की सेवा में लगे कार्यकर्ता खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं, इसी तरह से सपा, बसपा, रालोद से लेकर प्रदेश में नई नवेली आम आदमी पार्टी तक में भी यही हाल है, टिकट नहीं मिलता देख कई लोग इधर से उधर पार्टियां बदल रहे हैं, रवि कुंतल कहते हैं कि पार्टी की जड़ों को मजबूत करने वाल कार्यकर्ता किनारे खड़ा है, सक्रिय कार्यकर्ताओं को किनारे लगाने का कुचक्र रचने वाले नेता कभी पार्टी का भला नहीं कर सकते हैं ।