राजस्थान की धरा पर है रासलीला मंचन की अविस्मरणीय छाप

राजस्थान की धरा पर है रासलीला मंचन की अविस्मरणीय छाप
-गीता शोध संस्थान के प्रशिक्षुओं ने किया भ्रमर गीत लीला का दिव्य मंचन
    मथुरा । उ0 प्र0 ब्रज विकास परिषद द्वारा संचालित गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन के सयुंक्त “रासलीला प्रशिक्षण कार्यक्रम” के अंतर्गत “भ्रमर गीत” का भव्य मंचन राजस्थान संस्कृत विभाग के जवाहर कला केंद्र, जयपुर स्थित रंगायन सभागार में आयोजित हुआ, दर्शकों से खचाखच भरे सभागार में कलाकारों की अलौकिक प्रस्तुति ने सभी को दिव्य रस में सराबोर कर दिया ।


 इस दौरान राजस्थान न्याय विभाग के पूर्व निदेशक जितेंद्र सिंह सिकरवार, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती राजेश तथा ट्रिब्यून के पूर्व संपादक संजय शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे, साथ ही राजस्थान वित्त विभाग की अधिकारी श्रीमती बिंदु, जवाहर कला केंद्र की अधिकारी श्रीमती बबीता, कु0 प्रियदर्शनी सहित बड़ी संख्या में कला-प्रेमी मौजूद रहे, मंचन का निर्देशन गीता शोध संस्थान के निदेशक प्रो0 दिनेश खन्ना ने जबकि संयोजन व समन्वय की जिम्मेदारी चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने निभाई ।
    इस रासलीला प्रशिक्षण कार्यक्रम में हारमोनियम व गायन पर आकाश शर्मा, सारंगी पर मनमोहन कौशिक, बाँसुरी पर दीनानाथ और तबले पर सुनील पाठक व उनके पुत्र संगत में रहे, नृत्य निर्देशन में सोचना शर्मा का, वस्त्र विन्यास में रितु सिंह का योगदान रहा तो सह संयोजिका के रूप में सुश्री मोहिनी कृष्णदासी का योगदान रहा, मंचन में कामिनी शर्मा और सुमति भारद्वाज कृष्ण की भूमिका में थीं, वहीं प्रियांशु उद्धव और हरी चौटाला ने मनसुखा का रोल किया, चांदनी, मोहिनी यादव, डौली, प्रिया, मोनिका, दीक्षा, समीक्षा आदि प्रशिक्षकों ने भी भ्रमर गीत में अलग-अलग भूमिका निभाई ।
    संस्थान के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने बताया कि जवाहर कला केंद्र ने भविष्य में भी ब्रज की लीलाओं के मंचन हेतु संस्थान को आमंत्रित करने का आश्वासन दिया है, “भ्रमर गीत” की इस भव्य प्रस्तुति ने राजस्थान की सांस्कृतिक धरती पर ब्रज की रासलीला परंपरा की अविस्मरणीय छाप छोड़ दी, वहीं दर्शकों ने रासलीला प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि अभी ऐसी रासलीला नहीं देखी थी ।

 

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