
ग्रामीण क्षेत्र में बद से बदतर हैं सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं
ग्रामीण क्षेत्र में बद से बदतर हैं सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं
-अल्ट्रा साउंड के लिए एक सप्ताह से दर-दर भटक रही है गर्भवती
मथुरा । जनपद में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली छुपी नहीं है। बावजूद इसके एक बडा वर्ग प्राइवेट चिकित्सकों की महंगी चिकित्सा सेवा को वहन करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में सब कुछ जानते हुए भी मजबूरी में सरकारी चिकित्सा सेवाओं की शरण में जाना पडत है। यहां मरीजों के साथ जो होता है कई बार वह किसी डरावने सपने से कम नहीं होता है।
एसएचएस हॉस्पिटल छोली बलदेव पर 25 अगस्त को आयोजित स्वास्थ्य कैम्प में जांच के दौरान मरीज को 28 अगस्त को अल्ट्रासाउंड करने की तिथि दी गई थी। परंतु दो सितम्बर तक बार बार हॉस्पिटल जाने के बावजूद अल्ट्रासाउंड के लिए ओटीपी नहीं भेजा गया है। यह न केवल मरीज और उसके परिवार के साथ गंभीर लापरवाही है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, गर्भवती महिला की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि मरीज को कैम्प के दौरान रक्तचाप, हिमोग्लोबिन आदि की जांच की गई, चिकित्सक द्वारा अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता बताई गई और 28 अगस्त की तिथि ओटीपी के लिए दी गई थी लेकिन निर्धारित तिथि से कई दिन बीत जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड न होने के कारण मरीज की स्थिति और चिंताजनक हो सकती है।
मांग की गई है कि बलदेव एसएचएस हॉस्पिटल, छोली में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही की तत्काल जांच की जाए। जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों की वजह से मरीजों को बार बार परेशान होना पड़ रहा है, उन पर कड़ी कार्यवाही की जाए साथ ही मरीजों के लिए समय पर अल्ट्रासाउंड व अन्य जांचें सुनिश्चित की जाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित कैम्पों की पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, सौरभ पांडेय ने इसकी शिकायत संभावित सभी स्तरों पर की है जिससे मरीजो की कोई मदद हो सके, उनका का कहना है कि इस प्रकार किसी मरीज विशेष की मदद की जा सकती है लेकिन आम लोगों की मदद तभी संभव है जब सिस्टम मे सुधार हो और गैरजिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ तय समय में दंडात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।