एलडीए ने फिर बटोरी सुर्खियां, विजिलेंस ने दर्ज की एफआईआर

एलडीए ने फिर बटोरी सुर्खियां, विजिलेंस ने दर्ज की एफआईआर
-प्रियदर्शनी योजना के भूखण्ड आबंटन में अनियमितता बरते जाने का है मामला
-सम्पत्ति अधिकारी, अनुभाग अधिकारी, उप सचिव, वरिष्ठ अकाउंटेंट व अवर वर्ग सहायक सहित आधा दर्जन के विरुद्ध मुकदमा दर्ज
   लखनऊ । लखनऊ विकास प्राधिकरण हमेशा से ही भ्रष्टाचार व घोटालों को लेकर सुर्खियों में बना ही रहता है, एलडीए ने एक बार फिर सुर्खियां बटोर लीं हैं, ताजा मामले में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) द्वारा लखनऊ विकास प्राधिकरण की प्रियदर्शनी योजना के तहत भूखंड आवंटन में अनियमितता के मामले में समाजवादी पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट सहित अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है, वैसे एलडीए क्षेत्र में सैंकड़ों की संख्या में व्यवसायिक सहित अन्य बड़ी योजनाओं को अवैध रूप से हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर भी खूब सुर्खियां बटोरी हुईं हैं ।


   अंबी बिष्ट लखनऊ विकास प्राधिकरण की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी हैं, वह मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की सास हैं, प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव वर्तमान में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं, विजिलेंस की वर्ष 2016 से चल रही जांच में अम्बी बिष्ट के अलावा लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, उप सचिव देवेन्द्र सिंह राठौर, वरिष्ठ अकाउंटेंट सुरेश, विष्णु महादाणे व अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता के विरुद्ध दोषी पाए जाने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के साथ ही भारतीय न्याय संहिता की अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है, यह मुकदमा कई स्तर पर हुई जांच व समीक्षा के पश्चात  ।
  तत्कालीन सम्पत्ति अधिकारी अम्बी बिष्ट करीब एक साल पहले 30 सितम्बर 2024 में सेवानिवृत्त हुईं थीं, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ विकास प्राधिकरण के अवर अभियंता व सहायक अभियंताओं सहित एलडीए के बड़े अधिकारियों की रज़ामंदी व संरक्षण में बड़ी संख्या में बिना मानचित्र स्वीकृति व मानकों के विपरीत व्यावसायिक सहित अन्य अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहीं अवैध रूप से निर्मित व्यावसायिक शोरूम आदि भी संचालित हैं, वहीं इसके अलावा एलडीए द्वारा संचालित तमाम अन्य योजनाओं में भी विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार व अनियमितताएं बरती जा रहीं हैं और शासन को राजस्व पहुंचाया जा रहा है जिसके चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण के बड़े आलाधिकारियों की कार्यशैली भी सन्देह के घेरे में बनी हुई है ।
   विजिलेंस टीम द्वारा की गई जांच के मुताबिक एलडीए की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट ने रजिस्ट्री और विक्रय विलेख (सेल डीड) पर साइन किए थे, तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह ने कब्जा पत्र जारी किए जबकि उपसचिव देवेंद्र सिंह राठौड़ ने आवंटन पत्र जारी किए, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु और अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता पर भी फर्जी अभिलेख तैयार कर भूखंडों का गलत मूल्यांकन करने का आरोप है, विजिलेंस की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि एलडीए के इन पांचों अधिकारियों ने स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ मिलकर भूखण्ड आवंटन में हेराफेरी की थी, सभी दस्तावेजों पर मौजूद हस्ताक्षरों की पुष्टि विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) से कराई गई, जो सही पाई गई, अब शासन ने धारा 120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू करने का आदेश दिया है, वर्ष 2016 में शासन ने इस प्रकरण की खुली जांच का आदेश दिया था, कई रिपोर्ट आने, समीक्षा और मंजूरी के बाद 18 सितंबर 2025 को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया, इसके बाद लखनऊ विजिलेंस थाने में एफआईआर दर्ज की गई ।

 

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