यमुना प्रदूषण : मौन मुद्रा में हैं आंदोलनकारी, अब सुनेगा कौन पीर

यमुना प्रदूषण : मौन मुद्रा में हैं आंदोलनकारी, अब सुनेगा कौन पीर
-धार्मिक नगरी वृंदावन में लगातार मैली हो रही है यमुना, सीधे गिर रहे हैं नाले
    मथुर । यमुना प्रदूषण को लेकर आंदोलनरत नेतृत्वकर्ता लम्बे समय से मौन मुद्रा में हैं, यमुना प्रदूषण का मुद्दा अब लोगों के जेहन में नहीं आता है जबकि कुछ वर्ष पूर्व यह मुद्दा गाहे बगाहे लोगों का ध्यान खींचता रहता था और आंदोलनों की लम्बी श्रृंखला का गवाह रहा है, भगवान श्रीकृष्ण और यमुना महारानी की आस्था से ही ब्रज क्षेत्र का अपना एक अलग महत्व है इसके बावजूद मां यमुना महारानी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने पर मजबूर है । 
      करीबन एक दशक पहले संत रमेश बाबा के सानिध्य में लाखों भक्तो ने मोक्ष दायिनी मां यमुना को दूषित जल से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन के साथ ही दिल्ली में कुचकर सरकार से यमुना में शुद्ध जल छोड़े जाने की मांग की थी, यह आंदोलन ब्रज के इतिहास में दर्ज हो गया था, राजनीतिक दलों ने भी यमुना के नाम पर खूब राजनीति की, न्यायालय से भी कई बार आदेश जारी हुए जिससे दूषित पानी यमुना में नही मिल सके जिसके बाद अधिकारियों ने नालों को टैप कराने की कार्यवाही शुरू की थी ।
        हालांकि कुछ दिनों तक तो शहर का गंदा पानी यमुना में प्रवाहित नहीं हुआ लेकिन सरकारी वायदे और कोर्ट के आदेशों को जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे ही एक बार फिर नालों का गंदा पानी सीधा यमुना में गिरने लगा, कई बार यमुना भक्तो ने विरोध किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी मां श्री यमुना महारानी आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है, नालों का दूषित पानी सीधा यमुना में गिर रहा है, मजबूर यमुना भक्त सरकार को कोसते हुए स्नान करने के साथ उसी जल का मजबूरी में आचमन कर रहे है, कभी आंदोलन की अटूट श्रृंखला चलाने वाले आंदोलनकारी यमुना भक्त आज यमुना प्रदूषण की बात तक करने से कतरा रहे हैं ।

 

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