वृंदावन : मंदिर ने श्रद्धालुओं के लिये जारी किया विशेष ड्रेस कोड
वृंदावन : राधादामोदर मंदिर श्रद्धालुओं के लिये जारी किया विशेष ड्रेस कोड
-वृंदावन के सप्त देवालयों में शामिल मन्दिर ने श्रद्धालुओं को चस्पा की नसीहत
-मंदिर परिसर में आने से पहले श्रद्धालुओं को पहनने होंगे मर्यादित परिधान
मथुरा । ब्रज में धार्मिक पर्यटन को बढावा देने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है, इसका असर दिखने लगा है, प्रमुख आयोजनों और वीक एण्ड पर वृंदावन सहित दूसरे अन्य प्रमुख स्थलों पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड भी देखी जा रही है, श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन को नियमित रूप से ट्रैफिक प्लान लागू करना पडता है, वहीं धार्मिक पर्यटन की अवधारणा से धर्म नगरी में कुछ असहजता भी बढ़ रही है जिसकी वजह से वृंदावन स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के पहनावे के लेकर मंदिर प्रबंधन को अपील जारी करनी पडी है ।
प्राचीन राधा दामोदर मंदिर में श्रद्धालुओं को पोस्टर चस्पा कर मर्यादित कपड़ों में आने की हिदायत दी गई है, इस निर्णय को लेकर सप्त देवालयों में से एक राधा दामोदरमन्दिर इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, मंदिर प्रबंधन द्वारा मंदिर के अंदर एवं बाहर जगह-जगह पोस्टर चस्पाकर दिये गये हैं जिनपर श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश से पूर्व मर्यादित वस्त्र पहनने की हिदायत दी गई है, मंदिर प्रबंधन द्वारा जींस, टीशर्ट, स्कर्ट, मिनी जैसे अमर्यादित वस्त्र पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिये गये हैं, मंदिर के सेवायत के मुताबिक देखने में आया है कि भारतीय अध्यात्म पर पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है जिसका खामियाजा कहीं ना कहीं आने वाली पीढ़ियों को चुकाना होगा ।
इसी कारण मंदिर प्रबंधन द्वारा लोगों को उनके परिधान एवं वेशभूषा को सुधारने की नसीहत दी गई है, इससे पूर्व उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भी इस तरह के पोस्टर लगाये जा चुके हैं, मंदिर प्रबंधन द्वारा बताया गया कि अभी यह पोस्टर मात्र लोगों की जीवन शैली में परिवर्तन लाने के प्रयास में लगाये गये हैं, अभी मंदिर में प्रवेश से किसी को रोका नहीं जा रहा है लेकिन भविष्य में इस तरह की संभावनाओं से इनकार भी नहीं किया जा सकता है, राधा दामोदर मंदिर के दामोदर गोस्वामी ने बताया कि यह तीर्थ स्थल है, भगवान कृष्ण का लीला स्थल है, इस जगह की अलग ही मर्यादा है, उस मर्यादा का सभी को पालन करना चाहिए, कुछ समय पहले श्रद्धालु आये थे, उनका पहनावा मंदिर के नजरिये से शोभनीय नहीं था, जब शादी में जाते हैं, अलग वस्त्र पहनते हैं, होली खेलते हैं अलग वस्त्र पहनते हैं, मंदिर जाते हैं तो मर्यादित वस्त्र पहनने चाहिए ।