समलैंगिक विवाह कानून को लेकर राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
समलैंगिक विवाह कानून को लेकर राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
प्रबुद्धजनों ने भारतीय संस्कृति व समाज पर इस कानून से घातक प्रभाव
जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में प्रबुद्धजनों ने की कानून लागू नही करने की मांग
मथुरा । जनपद में समलैंगिकता विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के विरोध में विभाग सम्पर्क प्रमुख मनीष गुप्ता के नेतृत्व में प्रबुद्धजनों द्वारा शनिवार को राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया जिसमें समाज के प्रबुद्धों, संस्थाओं से परामर्श के बाद समलैंगिकता को कानूनी रूप देने की मांग की गई, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि समलैंगिक विवाह वैध घोषित नही हो ।
मनीष गुप्ता ने कहा कि समलैंगिक विवाह की अवधारणा विनाशकारी है, इसका भारतीय संस्कृति और समाज पर खाता प्रभाव पड़ेगा, भारतीय सामाजिक ताने-बाने परंपराओं, मूल्य और धार्मिक सिद्धांतों के नाम पर जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए, डॉ0 भोले सिंह, प्रो0 जी0 एल0 बजाज ने कहा कि समलैंगिकता विवाह विशेष रुप से समान लिंग संघ के वैधीकरण की दिशा में अत्यधिक आपत्तिजनक प्रयास है, सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश शर्मा ने कहा कि भारतीय मूल व्यवस्था के संदर्भ में समलैंगिक विवाह की कीमत पूरे देश को चुकानी होगी, यदि समलैंगिक यौन संबंध को स्वीकार करने के लिए कानून में संशोधन करते हैं तो यह समलैंगिक यौन संस्कृति के द्वार खोलेगा, हमारा समाज व संस्कृति ऐसा नहीं है कि समान सेक्स व्यवहार संस्था को स्वीकार करें क्योंकि यह तर्कहीन और अप्राकृतिक होने के अलावा हमारे मूल्यों के लिए आक्रामक है ।
एडवोकेट विजेंद्र वैदिक के मुताबिक यह परिवार और समाज की संस्थाओं को नष्ट कर देगा, ज्ञातव्य हो की समलैंगिकता विवाह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही, नगर के प्रबुद्ध नागरिकों ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने के विरोध में राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर इस तरह के विवाह को कानूनी दर्जा दिये जाने का विरोध व्यक्त किया है, जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने के दौरान मनीष गुप्ता, प्रो0 डॉ0 भोले सिंह, मुकेश शर्मा, एडवोकेट विजेंद्र वैदिक, एडवोकेट राहुल राजावत एवं एडवोकेट मुकेश सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।