अमृत काल के शोर शराबे में भी अछूता रह गया पौराणिक "किलोल कुंड"
अमृत काल के शोर शराबे में भी अछूता रह गया पौराणिक "किलोल कुंड"
-अडींग स्थित किलोल कुंड में दूषित पानी, गंदगी के ढेर से भावना हो रही आहत
मथुरा । जनपद में अमृत सरोवर का विकास किया जा रहा है, यहां सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने के दावे भी किये जा रहे हैं, अमृत सरोवर के सपने कितने साकार होंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस होहल्ला के दौर में वह होने से भी छूट रहा है जिसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी, जनपद में बहुतायत की संख्या में पौराणिक महत्व के कुंड सरोवर हैं जिनकी ओर से अमृत सरोवर के शोर शराबे में छूट सा गया है ।
अडींग ग्राम पंचायत का कृष्णकालीन प्राचीन किलोल कुंड अपने अस्तित्व पर बदहाली के आंसू बहा रहा है, गौरतलब है कि वर्ष 2015 व 2016 में कुंड का जीर्णोद्धार कराया गया था लेकिन ग्राम पंचायत की अनदेखी के चलते यह कुंड गंदगी से अटा पड़ा है, कुंड के हालात देख तीर्थ यात्रियों की भावना आहत हो रही हैं, श्रद्धालु आचमन करना तो दूर पानी में हाथ डालने से भी कतरा रहे हैं, ग्राम अडीग के किलोल कुंड का धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है, मान्यताओं के अनुसार, द्वापुर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दृष्टिकोण से जलकेली व सखाओं के साथ जल क्रीड़ा स्थल बनाया था, इस कुंड को राधाकृष्ण की विभिन्न केलियों का श्रष्टा और दृष्टा माना गया है ।
ग्रामीणों के मुताबिक यह कुंड हमेशा ऐसा नहीं था, यहां किलोल कुंड में स्नान करते थे, ब्रज यात्रियों की भीड़ रहती थी लेकिन अब कुंड गंदगी से अटा पड़ा है, स्नान तो दूर अब आचमन लेने योग्य भी पानी नहीं बचा है, भगवत तिवारी कहते हैं कि ग्राम पंचायत की अनदेखी के कारण कुंड गंदगी में तब्दील हो चुका है, नालियों का गंदा पानी कुंड में गिरता है, वहीं लोग कूड़ा डालते हैं जिसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से की जा चुकी है, कोई सुनने वाला नहीं है, कुंड अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ।