सनातनी परंपरा का विशुद्ध वाहक रहा है अखंडानंद आश्रम
सनातनी परंपरा का विशुद्ध वाहक रहा है अखंडानंद आश्रम
ब्रह्मलीन महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज का हुआ षोडशी महोत्सव
मथुरा । मोती झील स्थित स्वामी अखंडानंद आश्रम के पूर्व अध्यक्ष ब्रह्मलीन महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज का षोडशी महोत्सव व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें तमाम संत, विद्वान व धर्माचार्यों ने महाराजश्री को श्रद्धांजलि अर्पित की, अध्यक्षता करते हुए कार्ष्णि गुरु शरणानंद महाराज ने कहा कि अखंडानंद आश्रम एक सनातनी परंपरा का विशुद्ध वाहक रहा है, अनेक विद्वानों ने यहां आकर अपनी साधना को निष्ठा प्रदान की, सच्चिदानंद सरस्वती परम गौभक्त संत थे, उनके मार्गदर्शन में आश्रम का संचालन कुशलता से हुआ ।
पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद महाराज ने बताया कि यह आश्रम अक्षर ब्रह्म की साधना का केंद्र रहा है, स्वामी अखंडानंद महाराज ने इस स्थान को आध्यात्मिक चेतना का प्रमुख स्थान बनाया, आध्यात्मिक एवं लोक जीवन दोनों का समन्वय आवश्यक है, मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास देवाचार्य महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक संपत्ति को निजी नहीं मानना चाहिए, महाराजश्री संतों, गौ एवं ब्राह्मणों को विशेष सम्मान देते थे, महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी अवशेषानंद, महंत फूलडोल बिहारीदास, पीपाद्वाराचार्य बाबा बलराम दास, स्वामी महेशानंद सरस्वती, रामानंदाचार्य विश्वेशपन्नाचार्य, स्वामी प्रणवानंद, स्वामी गोविंदानंद तीर्थ आदि उपस्थित रहे ।