आध्यात्मिक कार्यशाला में निखरी बच्चों की रचनात्मकता
आध्यात्मिक कार्यशाला में निखरी बच्चों की रचनात्मकता
मथुरा। मथुरा और आगरा के जोनल इंचार्ज एचके अरोड़ा के मार्गदर्शन में बच्चों और युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, इसीक्रम में कमला नगर आगरा ब्रांच के बल्केश्वर स्थित निरंकारी सत्संग भवन में बाल आध्यात्मिक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें आगरा के विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों बच्चों ने शामिल होकर अपनी रचनात्मकता को निखारा।
मीडिया सहायक किशोर स्वर्ण ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य बाल जीवन में आध्यात्म के महत्त्व को समझाना था, जिसमें बच्चों से सवाल करके आध्यात्म के प्रति परिपक्व करने का प्रयास किया गया। इसमें बच्चों ने भी प्रश्न करते हुए पूछा ष्परिवार का एक अच्छा सदस्य कैसे बनें, निरंकार और सतगुरु में क्या फर्क है, निरंकार को प्रत्यक्ष कैसे देख सकते हैं, भक्ति में डर क्यू जरूरी है इन प्रश्नों के जवाब मुख्य अतिथि शिक्षाविद रवि भल्ला एवं विशिष्ट अतिथि आगरा के क्षेत्रीय सेवादल संचालक महेश चौहान तथा कमला नगर ब्रांच की मुखी बहन जयश्री कर्मचंदानी ने देते हुए कहा कि अच्छे संस्कारों का निर्माण सत्संग से होता है इसलिए बच्चों को सत्संग जरूर करना चाहिए। जो गुरमत की पढ़ाई करके अपने जीवन में सुधार ले आता है वही बच्चा बेहतर बच्चा बन पता है। निरंकार निराकार रूप में है और सतगुरु साकार रूप में है। सतगुरू से ब्रह्मज्ञान के बाद हम हर मानव में परमात्मा को प्रत्यक्ष देख सकते हैं। भक्ति में डर इसलिए जरुरी है क्योंकि जब हमने ज्ञान लिया तो वो फिर निरंकार का कैमरा है वो हमारे ऊपर ही है, फिर हम कुछ गलत नहीं कर सकते।