केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने की याचिका स्वीकार, रेलवे को दिये निर्देश
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने की याचिका स्वीकार, रेलवे को दिये निर्देश
झांसी रेलवे डिवीजन का है मामला, अनुकम्पा आवेदन को कर दिया गया था निरस्त
वयस्क होने या उच्च आयु होने या बड़े भाई का आवेदन निरस्त होने के आधार पर नहीं किया जा सकता है आवेदन निरस्त
इलाहाबाद । केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद बेंच ने रेलवे द्वारा याची का अनुकम्पा नियुक्ति हेतु का आवेदन वयस्क होने, उच्च आयु वर्ग का विवाहित होने पर अपने मृतक पिता पर आश्रित ना मानते हुए निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया है, याची के अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने बताया कि याची के पिता की मृत्यु 27 जनवरी 2018 को झांसी डिवीजन के महोबा स्टेशन पर ट्रैक मैन के पद पर कार्यरत रहते हो गई थी, उनकी मृत्यु के बाद याची के बड़े भाई ने 21 मार्च 2018 को रेलवे में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया जिसे 21 जून 2018 को रेलवे ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि वह वयस्क, उच्च आयु वर्ग का विवाहित व्यक्ति हैं जोकि अपने मृतक पिता पर आश्रित नहीं हो सकता ।
याची के अधिवक्ता के मुताबिक इसके बाद याची ने स्वयं के अनुकम्पा नियुक्ति के लिए 17 सितम्बर 2022 को आवेदन दिया जिसे रेलवे ने मनमाने ढ़ंग से 26 सितम्बर 2022 को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि बड़े भाई का आवेदन 21 जून 2018 को निरस्त किया जा चुका है और अब याची के आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता जिसके बाद याची ने रेलवे द्वारा आवेदन निरस्त करने के आदेश को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद में याचिका दाखिल किया ।
याची के विद्वान अधिवक्ता श्री गुप्ता ने न्यायालय को बताया, याची का आवेदन अनुकम्पा नियुक्ति के विधिक सिद्धांतों पर बिना विचार किए ही मनमाने ढ़ंग से निरस्त नहीं किया जा सकता, याची के अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद में बहस करते हुए कहा कि "अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र पर पहले विभाग को याची के परिवार की दयनीय स्थिति पर विचार करना चाहिए था, उसके बाद ही आवेदन पत्र का निस्तारण किया जा सकता है" ।
विपक्षी रेलवे की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता सीमा श्रीवास्तव ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद में सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि याची वयस्क होने के कारण अपने मृतक पिता की आय पर आश्रित नहीं है, साथ ही उसके बड़े भाई का आवेदन शैक्षणिक योग्यता ना होने के कारण 21 जून 2018 को निरस्त कर दिया गया था, अतः याची का अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन निरस्त करने में कोई विधिक त्रुटि नही है ।
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने और पत्रावली को देखने के बाद यह पाया कि बड़े भाई ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए पहले आवेदन दिया था जो रेलवे ने निरस्त कर दिया, उसके बाद याची ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया, याची अनुकम्पा नियुक्ति की सभी आवश्यक योग्यता रखता है, रेलवे ने याची का आवेदन सिर्फ इस आधार पर निरस्त कर दिया क्योंकि वह वयस्क है और उसके बड़े भाई का आवेदन पूर्व में निरस्त किया जा चुका है, आवेदन निरस्त्रीकरण आदेश में अनुकम्पा नियुक्ति के नियमों और कानून पर विचार करने का कोई उल्लेख नहीं है, विपक्षी रेलवे को याची की शैक्षणिक योग्यता, परिवार की दयनीय स्थिति और अन्य आवश्यक अर्हताओं पर विचार करना चाहिए था जोकि प्रस्तुत प्रकरण में नहीं किया गया है ।
रेलवे कोर्ट यानी केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण इलाहाबाद के पीठासीन जस्टिस ओमप्रकाश VII ने उपरोक्त प्रकरण में वादी एवं प्रतिवादी पक्ष के दोनों विद्वान अधिवक्ताओं के तथ्यात्मक बहस का संज्ञान लेते हुए 6 जनवरी 2025 को याची की याचिका स्वीकार करते हुए विपक्षी रेलवे को निर्देशित किया कि वे अगली मीटिंग में याची के आवेदन पत्र पर नियमों एवं कानूनों के अन्तर्गत पुनः विचार कर याची को अविलम्ब सूचित करेंगे ।