विश्व डाक दिवस : "चिट्ठी आई है, आई है चिट्ठी आई", "चिट्ठी न कोई संदेश.....

विश्व डाक दिवस : "चिट्ठी आई है, आई है चिट्ठी आई", "चिट्ठी न कोई संदेश.....
-टेक्नोलॉजी युग में गायब हो गई है जिन्दगी को गुनगुनाती अंतर्देशीय, पोस्टकार्ड जैसी चिठ्ठियाँ 
-भारत देश में एक अप्रैल 1854 को हुई थी जनहितकारी डाक सेवा की शुरुआत 
-स्विट्जरलैंड में 9 अक्टूबर 1874 को हुई थी यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना 
-सभी डाककर्मियों को विश्व डाक दिवस की अनंत शुभकामनाएं-रीना त्रिपाठी
     लखनऊ । "चिट्ठी आई है, आई है चिट्ठी आई", "चिट्ठी न कोई संदेश .........चिट्ठी, अंतर्देशीय, पोस्टकार्ड, मनीआर्डर", इस तरह से जिन्दगी को गुनगुनाती चिट्ठियां आपाधापी भरी जिंदगी में टेक्नोलॉजी के युग में गायब होती जा रही हैं, "कभी दूर जाने वाले साथी की खबर लेने के लिए तो कभी अपने बच्चों को दूसरे शहर में पढ़ाने भेजने पर" "उसकी खबर लेने के लिए उसे नैतिकता के पाठ सिखाने के लिए तो कभी दो प्रेमी युगल एक दूसरे के दिल को दिल का हाल बताने के लिए जिन संदेशवाहकों का प्रयोग किया करते थे, वह इन्हें डाकघर के माध्यम से एक दूसरे के पास पहुचाते थे ।
      लोगों की भावनाएं संवेदनाएं संदेश शुभेच्छा प्रेम झगड़ा और आशीर्वाद सभी इन पत्रों के माध्यम से दिल के तार को झनझनाने के लिए और एक मधुर संगीत सुनने के लिए प्रयोग में ले जाते थे, आज हम "विश्व डाक दिवस" मना अवश्य रहें हैं लेकिन समय के साथ इन डाकघर की सुविधा बढ़ा दी गई है, यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है, अक्सर हम डाकघरों में सुविधा के नाम पर पुराने कंप्यूटर एक बाबू एक चपरासी तथा कुछ चिट्ठियां छाटने वाले कर्मचारियों और इन सभी के साथ कुछ डालियों को अपने-अपने बंडल ले जाते हुए देखते हैं, यह हैरारकी कहीं छोटी तो कही बड़ी हो जाती है, इसके सिवा इमारतों में रंग रोगन हुए भी कई वर्ष बीत जाते हैं, आज भी डाकिया साइकिल से चिट्ठियों को बाटते आपके मोहल्ले में दिखाई दे जाते हैं लेकिन उन चिट्ठियों का स्वरूप बदल जाता है, बैंक के एटीएम पासबुक या किसी नौकरी के कॉल लेटर इत्यादि के सिवा संदेश वाहक के रूप का कार्य मोबाइल की दुनिया ने खत्म कर दिया है । 
      भारत में डाक सेवा की शुरुआत एक अप्रैल 1854 को हुई, डाकघर के बाहर पत्र जमा करने के लिए एक लाल रंग की पेटी होती है, डाकघर पत्र भेजने के लिए पिन कोड प्रणाली का उपयोग करते है, जिस डाक पते पर पत्र और मनीआर्डर पहुचाना होता है, उस पते पर डाकिया पंहुचा देता है, पुरे विश्व में डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है, यह दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की याद में मनाया जाता है जिसकी स्थापना 9 अक्टूबर 1874 को स्विट्जरलैंड के बर्न में हुई थी, यूपीयू दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो डाक सेवाओं को नियंत्रित करता है, विश्व डाक दिवस का उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन और व्यवसाय में डाक कर्मियों की समर्पित सेवाओं की भूमिका के साथ-साथ वैश्विक सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरुकता लाना है, डाक घर केंद्र सरकार द्वारा संचालित उपक्रम हैं, वर्तमान में भारतीय डाक द्वारा कई प्रकार की बचत योजनाएं भी चलाई जा रही हैं, आप सभी ने भी इन योजनाओं का लाभ कभी ना कभी लिया होगा ।

 

Letest News










Advertisement
Advertisement
About Loktantra

भारत दुनियाभर का एक मात्र ऐसा लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के आधार पर एक अहम स्थान रखता है हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था भी बेमिसाल है यहां ग्राम ,मोहल्ला स्तर से लेकर जनपद, प्रदेश व देश स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं सुनिश्चित है। राज्य व केंद्रीय शासन द्वारा देश के प्रत्येक जनता की समस्याओं का ध्यान रखते हुए प्रशासनिक व्यवस्थाएं क्रियान्वित की जाती हैं |लोकतंत्र का आगाज उसी लोकतंत्रिक व्यवस्था की कड़ी के रूप में प्रत्येक नागरिक की आवाज का आगाज करते हुए समाचार प्रसारित कर शासन प्रशासन तक समस्याओं को प्रदर्शित कर व शासन-प्रशासन की योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने में सजग है।

Total Users: 735262
Get In Touch

Office : faujadar market, opp. Patiram mandir, sonkh road, krishna nagar, mathura-281004

7417674275

[email protected]

Copyright ©2025 InzealInfotech. All rights reserved.