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जनांदोलन बना टीबी उन्मूलन अभियान, निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका
जनांदोलन बना टीबी उन्मूलन अभियान, निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने की उच्च जोखिम समूह से टीबी जांच की अपील
मथुरा जनपद में करीबन ढाई लाख लोगों की होनी है स्क्रीनिंग
मथुरा । जिले में चल रहा सौ दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान जनांदोलन बनने लगा है, सरकारी क्षेत्र के साथ इस अभियान में निजी चिकित्सक भी अहम भूमिका निभा रहे हैं, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 अजय कुमार वर्मा ने निजी क्षेत्र के चिकित्सकों से अपील की कि वह अधिकाधिक टीबी मरीजों को खोजने और टीबी नोटिफिकेशन और मैनेजमेंट में मददगार बनें, अभियान के दौरान करीब 2.50 लाख लोगों की होनी है संभावित टीबी की स्क्रीनिंग, उच्च जोखिम समूह के लोगों से टीबी जांच की अपील की है, सौ दिन के जागरूकता अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी निभाए ताकि आने वाले समय में मथुरा को टीबी जैसी बीमारी से मुक्त किया जा सके, अभियान के दौरान सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा 567 मरीजों को चिह्नित किया गया है, सभी का उपचार शुरू कर दिया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ0 संजीव यादव ने बताया कि टीबी एक ऐसी बीमारी है जो समय से इलाज न करवाने पर फैलती है। दो सप्ताह से अधिक की खांसी, पसीने के साथ बुखार, तेजी से वजन गिरना आदि टीबी के लक्षण हैं। साठ वर्ष से अधिक के लोग, मधुमेह रोगी, शराब पीने व धुम्रपान करने वाले लोग, एचआईवी मरीज और अन्य सहरूग्णता वाले लोग टीबी के मरीज भी हो सकते हैं। ऐसे लोगों की नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में टीबी जांच आवश्यक है। जांच के बाद टीबी निकले तो डरने की आवश्यकता नहीं है, इस बीमारी का पूरा इलाज संभव है।
जिला समन्वयक शिवकुमार ने निजी क्षेत्र के चिकित्सकों से निक्षय मित्र बन टीबी मरीजों को गोद लेने की भी अपील की, निजी क्षेत्र के चिकित्सक अपने यहां उच्च जोखिम समूह के अधिकाधिक लोगों की एक्स-रे जांच कराएं, अगर टीबी का लक्षण है तो सीबीनॉट जांच के लिए जिला क्षय रोग केंद्र भेजें। जिला पीपीएम समन्वयक आलोक तिवारी ने कहा कि निजी क्षेत्र के चिकित्सक मरीज से परामर्श शुल्क ले सकते हैं और साथ में अपने मरीजों को भी सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं दिलवा सकते हैं, ऐसे मरीजों को भी निक्षय पोषण योजना के तहत 1000 रुपये प्रति माह की दर से इलाज चलने तक पोषण सहायता राशि दी जाती है ।