
प्लास्टिक प्रदूषण से वन्य जीवों पर खतरों के प्रति किया आगाह
प्लास्टिक प्रदूषण से वन्य जीवों पर खतरों के प्रति किया आगाह
-वन्यजीवों के प्रति सहानुभूति के नाम पर प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण की अपील
मथुरा। पूरी दुनिया पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मना रही है, पर्यावरण के संरक्षण में सबसे ज्यादा ज़रूरी पारिस्थितिक खतरों में से एक ‘प्लास्टिक प्रदूषण’ पर इस साल ध्यान केंद्रित किया गया है। इस वर्ष की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें’ को ध्यान में रखते हुए, संरक्षण संस्था वाइल्डलाइफ़ एसओएस कई मोर्चों पर इस चुनौती से निपट रहा है; सक्रिय बचाव, शिक्षा और युवाओं को स्वेच्छा से, प्लास्टिक मुक्त भविष्य के लिए पैरोकार बनने के लिए सशक्त बनाने के माध्यम से।
संस्था की रैपिड रिस्पांस टीमों ने कई ऐसे संरक्षण अभियानों में भाग लिया है, जो सीधे प्लास्टिक कचरे के खतरों को दर्शाते हैं। एक मामले में सिवेट कैट को आगरा के एयरफोर्स स्टेशन से बचाया गया था, जब उसका सिर एक खाली प्लास्टिक जार में फंस गया था, जिससे जानवर सांस लेने या चलने में असमर्थ हो गया था। दूसरे मामले में, मॉनिटर लिज़र्ड का मुंह प्लास्टिक के डिब्बे में फस गया था, जिसके कारण वह हिलने डुलने में असमर्थ थी और उसे चोट लगने का गंभीर खतरा था।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि ये मामले अलग थलग नहीं हैं। ये एक बड़े संकट के लक्षण हैं, जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। जंगली जानवरों को कचरे से भरे परिदृश्यों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और प्लास्टिक उन सबसे घातक पदार्थों में से एक है, जिनका वे सामना करते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस की अपनी पहल के तहत, वाइल्डलाइफ एसओएस अपने बचाव कार्यों और शिक्षा के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने के लिए एक रक्षक दृष्टिकोण अपना रहा है। भारत भर में नियोजित कई जागरूकता गतिविधियों में, आगरा में सूर सरोवर पक्षी अभयारण्य में कॉलेज के छात्रों के साथ एक स्वच्छता अभियान, एक नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में हाथी संरक्षण व देखभाल केंद्र (ईसीसीसी) में बच्चों के लिए आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता और बेंगलुरु में सरला बिड़ला अकादमी में एक जागरूकता सत्र कुछ प्रमुख आकर्षण हैं।