देश की आखिरी रेल बस हुई बंद, प्रोजेक्ट भी रद्द

देश की आखिरी रेल बस हुई बंद, प्रोजेक्ट भी रद्द
-रेल बचाओ मोर्चा के बैनरतले सांसद हेमा मालिनी के सिर फोड़ा ठीकरा
     मथुरा । देश में आखिरी रेल बस मथुरा वृंदावन के मध्य मार्च 2023 में बंद हो गई थी, मथुरा वृंदावन के बीच रेल बस का संचालन तकरीबन 1998 में शुरू हुआ था, यह रेल बस पहले मथुरा छावनी से चलती थी, इसके बाद 2003 में यह रेल बस मथुरा जंक्शन से चलने लगी. बीच में इस रूट पर दो रेल बस चल रही थीं, नए प्रोजेक्ट के तहत रेल बसे के इस छोटे ट्रेक को उखाड़ दिया गया था, इसके बाद प्रोजेक्ट भी रद हो गया, भविष्य में इस ट्रेक पर क्या होगा, इसका किसी को कुछ पता नहीं है। वृंदावन की जनता इससे नाराज है । 
    वृंदावन में कॉरिडोर और न्यास को लेकर एक ओर जहां विरोध प्रदर्शन जारी है, वहीं दूसरी तरफ वृंदावन वासी रेल लाइन बहाली की मांग कर रहे हैं, रविवार को वृंदावन वासियों ने रंगनाथ मंदिर के सिंह द्वार से नगर निगम चौराहे तक पैदल मार्च निकाला, हाथों में तख्तियां और बैनर लिए लोग हेमा मालिनी वापस जाओ, वृंदावन की धरोहर बचाओ के नारे लगाते हुए चल रहे थे, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि डेढ़ सदी पुरानी मथुरा वृंदावन रेल लाइन सिर्फ परिवहन का साधन नहीं बल्कि ब्रज की सांस्कृतिक धरोहर थी।
    रेल मंत्रालय ने मथुरा वृंदावन रेल लाइन को मीटर गेज से ब्रॉड गेज में बदलने की 403 करोड़ की महत्वाकांक्षी योजना को स्थायी रूप से बंद कर दिया और इस फैसले का ठीकरा स्थानीय लोग सांसद हेमा मालिनी के सिर फोड़ रहे हैं। रेलवे लाइन का निर्माण जयपुर के राजा माधो सिंह ने राधा माधव मंदिर के लिए तैयार करवाया था जिस पर पत्थर ढोए गए और बाद में यात्री ट्रेन चलीं। राधा रानी मेल के नाम से मशहूर इस ट्रेन ने लाखों श्रद्धालुओं को ठाकुरजी के दर्शन कराए। लेकिन अब, यह ऐतिहासिक लाइन इतिहास के पन्नों में सिमट गई।
    प्रदर्शनकारी संजीव बाबा ने तंज कसते हुए कहा कुछ रसूखदारों के भवनों की खातिर रेलवे की जमीन बचाई गई और हमारी धरोहर को घाटे का सौदा बता कर कुर्बान कर दिया गया। वृंदावनवासियों का गुस्सा सांसद हेमा मालिनी पर इसलिए फूट रहा था क्योंकि इस प्रोजेक्ट को शुरू कराने में उनकी अहम भूमिका थी, 2023 में 403 करोड़ की लागत से शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 50 प्रतिशत तक पूरा हो चुका था। रेलवे ने पुराने ट्रैक हटाए, स्टेशन तोड़े, और नए ट्रैक के लिए मिट्टी डाली। लेकिन जब कुछ प्रभावशाली लोगों के भवनों पर बुलडोजर की छाया पड़ी, तो विरोध शुरू हुआ। सांसद ने पहले इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी, फिर जनविरोध देखकर इसे रुकवाने में भूमिका निभाई। अब लोग पूछ रहे हैं, धरोहर की बात करने वाली सांसद आखिर किसके दबाव में अपना निर्णय बदल रही है।

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