
जाने क्या है खाटू श्याम की महिमा ? क्या हैं बाबा के 11 नाम ?
जाने क्या है खाटू श्याम की महिमा ? क्या हैं बाबा के 11 नाम ?
श्याम बाबा के थे दो भाई, किसकी तरफ से लड़े थे दोनों भाई युद्ध ?
बर्बरीक से श्रीकृष्ण ने क्यों लिया था शीश का दान ? क्या मिला था वरदान ?
राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाटू में स्थित खाटू श्याम मन्दिर का बेहद रोचक इतिहास है, श्याम बाबा को बर्बरीक, मोरवी नंदन, तीन बाण धारी, शीश का दानी, कलियुग के अवतारी, खाटू नरेश, लखदातार, लीले का असवार, खाटू श्याम, हारे का सहारा और श्री श्याम के नाम से भी जाना जाता है, श्याम बाबा के इन 11 नामों का भी अपना अलग महत्व है :-
1. बर्बरीक : यह श्याम बाबा का मूल नाम है
2. मोरवी नंदन : उनकी माता का नाम मोरवी था इसलिए उन्हें मोरवी नंदन भी कहा जाता है
3. तीन बाण धारी : उन्हें तीन बाणों का धनी माना जाता है
4. शीश का दानी : उन्होंने अपना सिर दान कर दिया था इसलिए उन्हें शीश का दानी भी कहा जाता है
5. कलियुग के अवतारी : उन्हें कलियुग में भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है
6. खाटू नरेश : उन्हें खाटू नरेश के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उनका शीश खाटू धाम में स्थापित है
7. लखदातार : लखदातार का अर्थ है "लाखों को देने वाला", जो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं
8. लीले का असवार : उनका प्रिय वाहन नीला घोड़ा है जिसे लीले का असवार भी कहा जाता है
9. खाटू श्याम : खाटू धाम में स्थापित होने के कारण, उन्हें खाटू श्याम भी कहा जाता है.
10. हारे का सहारा : जो लोग हार मान चुके होते हैं, श्याम बाबा उनका सहारा बनते हैं इसलिए उन्हें हारे का सहारा भी कहा जाता है
11. श्री श्याम : यह उनका सबसे लोकप्रिय नाम है, भक्त उन्हें इसी नाम से पुकारते हैं
श्याम बाबा भगवान शिव के बड़े ही परम् भक्त थे और श्रीकृष्ण बर्बरीक के गुरु थे, महाभारत में जिन महान योद्धा बर्बरीक का जिक्र है, उन्ही को खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है, उनके माता-पिता कौन थे ? तथा उनके परिवार में और कौन-कौन थे ? महाभारत के बाद उन सभी का क्या हुआ ? बर्बरीक को किससे और क्या वरदान मिला था ? बर्बरीक के दो भाई कौन थे ?
खाटू श्याम यानी बर्बरीक घटोत्कच और नागकन्या अहिलावती यानी मोरवी के सबसे बड़े बेटे थे, उनके दादा पांडवों में सबसे ताकतवर योद्धा भीम थे जिनसे बड़े-बड़े योद्धा भी युद्ध लड़ने में कतराते थे, बर्बरीक की दादी हिडिम्बा थीं, कुछ पौराणिक कथाओं के मुताबिक, बर्बरीक सूर्यवर्चा नाम के यक्ष थे जिनका पुनर्जन्म मानव के रूप में हुआ था, महाभारत में खाटू श्याम यानी बर्बरीक के दो भाइयों का जिक्र भी मिलता है जिनके नाम अंजनपर्व और मेघवर्ण थे, दोनों ने महाभारत के युद्ध में भाग लिया था. युद्ध में दोनों भाइयों ने बड़ी वीरता का परिचय दिया, युद्ध के 14वें दिन कौरवों की ओर से युद्ध लड़ रहे कर्ण के हाथों भीम के पुत्र घटोत्कच और गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा के हाथों अंजनपर्व व वनसेन के हाथों मेघवर्ण का वध हुआ था, श्रीकृष्ण को खाटू श्याम का गुरु माना जाता है, वहीं बर्बरीक यानी खाटू श्याम भगवान शिव के परम भक्त थे, पहले उन्होंने आदिशक्ति की तपस्या कर असीमित शक्तियां हासिल कीं, फिर गुरु श्रीकृष्ण से आज्ञा लेकर महादेव की घोर तपस्या कर तीन अभेद्य बाण हासिल किए इसीलिए उन्हें "तीन बाण धारी" भी कहा जाता है, उनको अग्निदेव ने अपना दिव्य धनुष वरदान में दिया था ।
बर्बरीक की मां मोरवी ने उनसे वचन लिया था कि हारते हुए पक्ष की ओर से ही युद्ध लड़ना इसलिए उन्होंने श्रीकृष्ण को बताया था कि वह पांडवों और कौरवों में हारते हुए पक्ष की ओर से ही युद्ध लड़ेंगे इसीलिए अब उन्हें "हारे का सहारा" कहा जाता है, बर्बरीक को ऐसी शक्तिशाली सिद्धियां प्राप्त थीं जिनसे वह पलभर में ही महाभारत का युद्ध लड़ रहे सभी योद्धाओं को एकबार में ही मृत्यु लोक में पहुंचा सकते थे, श्रीकृष्ण ने परीक्षा लेने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण कर बर्बरीक से कहा कि एक तीर से पेड़ के सभी पत्ते भेदकर दिखाओ तो बर्बरीक ने सभी पत्तों को छेद दिया जिसके बाद उनका बाण ब्राह्मण का रूप धारण किये श्रीकृष्ण के चारों ओर चक्कर लगाने लगा क्योंकि श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा रखा था, बाद में श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण के रूप में ही बर्बरीक से शीश दान मांग लिया, वचन से बंधे हुए बर्बरीक ने अपना शीश दान कर दिया
खाटू श्याम के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने शीश दान करने से पहले श्रीकृष्ण के विराट रूप के दर्शन किये थे, शीश का दान देने के बाद श्रीकृष्ण से महाभारत का पूरा युद्ध देखने की इच्छा जताई थी, तब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का शीश रणभूमि के नजदीक एक पहाड़ी पर विराजित कर दिया, बर्बरीक यानी श्याम बाबा ने उसी पहाड़ी से पूरा युद्ध देखा था, महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद सबसे वीर योद्ध की तलाश शुरू हुई तो बर्बरीक से फैसला मांगा गया, उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ही सबसे बड़े योद्धा हैं क्योंकि हर तरफ उनका सुदर्शन चक्र ही घूमता हुआ नजर आ रहा था, जो शत्रुओं को काट रहा था, श्रीकृष्ण ने उन्हें कलयुग में उन्हीं के एक नाम यानी श्याम बाबा के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया ।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के पास सिर्फ तीन तीर देखे तो उपहास उड़ाते हुए कहा कि महाभारत का युद्ध तीन तीर से जीतोगे. इस पर उन्होंने बताया था कि उनका एक ही बाण महाभारत का युद्ध खत्म करने के लिए काफी है. अगर तीनों बाण चला दिए तो तीनों लोकों में हाहाकार मच जाएगा. उनके ऐसा बताने के बाद ही श्रीकृष्ण उनसे पीपल के पेड़ के सभी पत्ते छेदने को कहा था. परिणाम देखने पर श्रीकृष्ण को अहसास हो गया था कि पांडवों का जीतना नामुमकिन हो जायेगा इसीलिए उन्होंने बर्बरीक से शीश दान मांगा था ।
बताया जाता है कि बर्बरीक का शीश सीकर के खाटू गांव में मिला था, खाटू में जहां बर्बरीक का सिर दफन था, वहां रोज एक गाय आकर खुद ही दूध बहाती थी, बाद में खुदाई करने पर वहां शीश मिला, शुरुआत में एक ब्राह्मण ने उस शीश की पूजा की, फिर एक बार खाटू के राजा को सपने में उस जगह मन्दिर बनवाने और बर्बरीक का शीश वहां स्थापित कर पूजा पाठ करने की कही गई, राजा ने उस जगह पर मंदिर बनवाया और कार्तिक महीने की एकादशी को मंदिर में शीश को सुशोभित किया गया, आज भी इसी दिन बाबा श्याम का जन्मदिन पूरी धूमधाम से मनाया जाता है, मूल मंदिर 1027 में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने बनवाया था, मारवाड़ के शासक दीवान अभय सिंह ने 1720 में इसी श्याम मंदिर का जीर्णोद्धार कराया ।
श्री श्याम बाबा यानी खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर शहर से 43 किमी दूर खाटू गांव में स्थित है, यह मंदिर भगवान कृष्ण और उनके शिष्य बर्बरीक से जुड़ा तीर्थ स्थल है, भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरीक का सिर है, जो महाभारत काल के महान योद्धा थे, उन्होंने महाभारत के युद्ध में कृष्ण के कहने पर अपना सिर काटकर दे दिया था, बर्बरीक को भगवान कृष्ण से वरदान मिला था कि कलयुग में भक्त उन्हें उनके ही नाम यानी श्याम बाबा के नाम से पूजेंगे और कलयुग में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पूजा जायेगा व खाटू श्याम की शरण में आने के बाद किसी भी व्यक्ति की खराब से खराब भी भाग्य रेखा बदल जायेंगी, चूंकि उनका मंदिर खाटू गांव में मौजूद है इसलिए देश-दुनिया में उन्हें खाटू श्याम कहा जाता है ।
💐💐जय श्री श्याम👏👏💐💐