यादगार चुनाव : सपा साइकिल के तो कांग्रेस नही रही हाथ के साथ
यादगार चुनाव : सपा साइकिल के तो कांग्रेस नही रही चुनाव चिन्ह हाथ के साथ
-सपा ने मतदान से ठीक पहले दे दिया था कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को समर्थन
-कांग्रेस ने हाथ के लिए नहीं मांगे वोट लेकिन दौड़ाई जीप
मथुरा । चुनाव आते जाते ही रहते हैं, चुनाव होंगे तो हार-जीत भी होगी ही, इसी के साथ जीते प्रत्याशी व उनके समर्थक जश्न मनाने में तो हारे हुए प्रत्याशी और उनके समर्थक हार के कारणों की पड़ताल में जुट जाते हैं, इस बार के निकाय चुनावों में हार जीत से ज्यादा चर्चा दूसरे कारणों की भी हो रही है, गुटबाजी और भितरघात की भी बातें हो रही हैं लेकिन यह चुनाव लम्बे समय तक इसके कारणों से अलग कुछ ऐसी वजहों के लिए याद किया जायेगा जो विरले ही घटित होती हैं ।
नगर निगम महापौर पद के लिए हुए चुनाव में इस बार कांग्रेस ने हाथ का साथ नहीं दिया और सपा ने साइकिल की सवारी करने से इनकार कर दिया, खांटी कांग्रेसी रहे पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्याम सुंदर उपाध्याय कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन कांग्रेस ने उन्हें अपना प्रत्याशी मानने से इनकार कर दिया, साथ ही पहरा बैठा दिया कि कोई कांग्रेसी उनके चुनाव प्रचार में नहीं जायेगा, इतना ही नहीं नामांकन के बाद से ही श्याम सुंदर उपाध्याय और उनके साथ नजर आ रहे एक दर्जन से अधिक कांग्रेसियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया ।
कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व विधायक राजकुमार रावत को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया जिनका चुनाव चिन्ह जीप था, महापौर चुनाव में कांग्रेसी हाथ का साथ छोडकर जीप पर सवार थे, इसका असर वार्डों में पार्षद प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार पर भी पडा, वह हाथ के पंजे पर चुनाव लड़े, हाथ पर बटन दबाने का अनुरोध मतदाताओं से करते रहे लेकिन मेयर के लिए ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा सके जिसका नतीजा यह रहा कि कांग्रेस प्रत्याशी श्याम सुंदर उपाध्याय बिट्टू को 35173 व कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार रावत को 30247 वोट ही मिल सके ।
बसपा प्रत्याशी राजा मोहतिम अहमद 35191 से श्याम सुंदर उपाध्यक्ष से आगे रहे, वहीं दूसरी ओर मतदान के ठीक पहले सपा प्रदेश इकाई ने अपने अधिकृत प्रत्याशी तुलसीराम शर्मा के बजाय पत्र जारी कर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी राजकुमार रावत का समर्थन करने की घोषणा कर दी, वहीं सपा अधिकृत प्रत्याशी तुलसीराम शर्मा ने इसे अपनी राजनीतिक हत्या करार देते हुए चुनाव मैदान में डटे रहने की घोषणा कर दी और वह आखिर तक दमदारी से चुनाव मैदान में जमे रहे, सपा प्रत्याशी तुलसीराम शर्मा को सिर्फ 11922 वोट ही मिले, इस बीच कांग्रेस और सपा का कोई बडा नेता चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं आया ।