खाद्य पदार्थों में महंगाई और मिलावटखोरी से असमंजस में हैं ब्रजवासी
खाद्य पदार्थों में महंगाई और मिलावटखोरी से असमंजस में हैं ब्रजवासी
-जिम्मेदार विभाग भी खाद्य पदार्थों की वस्तुओं में मिलावटखोरी रोकने में हुआ असफल
-लोगों खाद्य विभाग की कार्यवाही को बताया सिर्फ खानापूर्ति, नही थम रही मिलावटखोरी
मथुरा । महंगाई की मार और मिलावटखोरी ने आमजन को असमंजस में डाल दिया हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर क्या खरीदें और क्या खाएं ? जिम्मेदार विभाग मिलावटखोरों पर लगाम लगाने में विफल साबित ही नही हो रहे हैं, बल्कि मूकदर्शक बने हुए हैं, देश व प्रदेश में जनपद का सुप्रसिद्ध मुडिया मेला से ठीक पहले जिलाधिकारी द्वारा ली गई समीक्षा बैठक में उनके तीखे तेवर देख खाद्य सुरक्षा विभाग सक्रिय तो हुआ लेकिन विभागीय कार्यवाही कुछ हद तक ही कारगर हो सकी, हालांकि विभाग द्वारा वृंदावन, गोवर्धन और छटीकरा में कुछ जगह छापेमारी कार्यवाही की तो जो तस्वीर सामने आई है, उससे खुद खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी, कर्मचारी असहज महसूस कर रहे हैं ।
सहायक खाद्य आयुक्त डा0 गौरीशंकर की अगुवाई में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एसपी तिवारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी भरत सिंह, अरुण ने एक प्रतिष्ठान पर रसगुल्ला निर्माण कार्य देखा, रसगुल्ला, घी व पनीर के सैंपल लिये, ड्रम में छैना पानी भरा हुआ था उसमें बदबू आ रही थी टीम ने उसे नष्ट कराया, करीब 400 लीटर बदबूदार छैना पानी नष्ट कराया, शुक्रवार को वृंदावन में 700 किलो मिठाई विभाग के अधिकारियों द्वारा नष्ट कराई गई थी, वहीं शनिवार को गोवर्धन में 400 किलो पेडा और मिल्क केक को नष्ट कराया गया था, वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि यह कार्यवाही तो सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा जैसी हैं, सच्चाई तो यह है कि मिलावट का खेल बड़े पैमाने पर हो रहा है और विभाग जब तब इस तरह के अभियान चलाकर सिर्फ खानापूर्ति ही करता है ।
वहीं महंगाई की मार से आम आदमी पहले से ही त्रस्त है, गरीब के पास दूध आखिरी हथियार रह जाता है लेकिन अब दूध पीने से भी आमलोग कतरा रहे हैं, सफेद दूध की सफेदी पर भी संदेह पसर गया है जिसकी बड़ी बजह मिलावटखोरों पर नकेल नही कसा जाना है, ठेल ढकेल से लेकर दुकान, प्रतिष्ठान सब जद में मिलावटखोरी का खेल बडा हो चला है, मिर्च मसालों से लेकर नान की ठकेल पर मिलने वाला मक्खन हो या प्रसाद रूपी पेडा, सबकुछ मिलावट की जद में हैं, पनीर से लेकर रसगुल्ला तक और खीरमोहन से लेकर सोन हलुआ तक का स्वाद लोगों को बदला बदला लग रहा है, जो लोग मीठे के शौकीन हैं वह स्वाद से ही पता लगा लेते हैं कि गडबड है लेकिन कुछ कर नहीं सकते हैं ।