सड़कों को बेवजह ऊंचा उठाना बन रहा आमजन की परेशानी का सबब 

सड़कों को बेवजह ऊंचा उठाना बन रहा आमजन की परेशानी का सबब 
-नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को भेजा जनसहयोग समूह ने सुझाव पत्र
     मथुरा । महानगर परिक्षेत्र में पुरानी सड़कों को खुदाई के बिना ही नई लेयर बिछा देने से आबादी क्षेत्र की सड़कें कई फीट तक ऊंची होने से इमारतें नीची हो गई हैं जिनमे बरसाती दिनों में जलभराव की समस्या बन जाती है, आजकल नई सड़कों को विकास के नाम पर खुदाई करना आम हो गया है, विभागों में सामंजस्य की कमी से जनता के पैसे का दुरुपयोग खिलकर किया जा रहा है ।


    शहरों, नगरों, कस्बों की मुख्य समस्या के तौर पर घरों, दुकानो, इमारतों का नीचे होते जाना जनता की परेशानी का कारण बनता जा रहा है, सड़क निर्माण के ठेकेदारों की एक मानसिकता बन गयी है कि सड़क को ऊंचा कर देने से सड़क ज्यादा दिन चलेगी और सड़क पर जलभराव नहीं होगा लेकिन सड़क को ऊंचा उठाकर बनाने से जलभराव तो रुकता नहीं है बल्कि स्थानीय लोगों को ही परेशानी हो जाती है, किसी क्षेत्र में सड़क नीची हैं और साइडों में नालियां नहीं हैं और सड़क पर पानी भरा रहता है तो वहां सड़क ऊंची उठाई जा सकती है लेकिन सभी जगह इस फॉर्मूले को लागू करने से भारी परेशानी सामने आती है । 
     जानकारों का मानना है कि शासन को सभी सड़क बनाने वाले ठेकेदारों, लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों, नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को आदेशित करना चाहिये कि वह सड़क निर्माण के समय निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें, जनता के पैसे का इतना बड़ा दुरुपयोग आखिर कब तक चलता रहेगा, जलभराव एक विकराल समस्या के रूप में सड़कों को सबसे ज्यादा हानि पहुंचाती है तो क्यों ना जलभराव के उन बिंदुओं को चिन्हित भी किया जाये जिनपर अवैध कब्जों की वजह से जलभराव की संभावना बनी और बढ़ी है, मुख्य रूप से जिलों के विकास प्राधिकरणों की भूमिका हमेशा से इस बारे में संदेहपूर्ण रही है, इस ओर ध्यान दिया जाना सड़को की सुरक्षा के लिये भी आवश्यक है ।
     समन्वयक जन सहयोग समूह अजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि सड़क जनता की सुविधा के लिये बनाई जाती हैं लेकिन कभी भी स्थानीय निवासियों से कोई चर्चा उनके क्षेत्र के विकास को लेकर नहीं की जाती है जिसके विकास के लिये विभाग इतना आतुर रहता है, उससे बिना वार्ता के उसका विकास कर दिया जाता है, जिस क्षेत्र की सड़क बनाई जाये, वहां के स्थानीय निवासियों से निर्माण से पूर्व वार्ता अवश्य की जाये, गौरतलब हो कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय भी इस सम्बन्ध में निर्णय दे चुके हैं कि सड़कों को बनाते समय इतना ऊंचा नही उठाया जाये कि आसपास की इमारतों का लेबल सड़क से नीचा या सड़क के समानांतर हो जाये, बावजूद इसके कोई ध्यान ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों द्वारा नहीं दिया जा रहा है ।

 

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