श्रावण मास : गिरिराज जी की अनूठी भक्ति की मिशाल है दंडवती परिक्रमा
श्रावण मास : गिरिराज जी की अनूठी भक्ति की मिशाल है दंडवती परिक्रमा
पर्वतराज की दंडवती परिक्रमा कर अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं गिरिराज जी के भक्त
मथुरा । श्रावण मास में गिरिराज महाराज की सप्तकोसीय परिक्रमा का विशेष महत्व है, दंडवती परिक्रमा अनूठी भक्ति में शुमार है, जहां पर्वतराज की भक्ति अनूठी तो वहीं गिरिराज जी के भक्त भी निराले हैं, असंख्य भक्तों ने तो अपना जीवन मानो प्रभु भक्ति को समर्पित कर दंडवती परिक्रमा शुरू कर दी है, इनमें तमाम वृद्धों के अलावा युवा भी शामिल हैं, भक्त 1161 और 108 निशान लेकर दंडवती परिक्रमा कर रहे हैं ।
गोवर्धन पर्वत की शिलाओं में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के संरक्षित चिन्ह रहस्यमयी दिव्यता की गवाही दे रहे हैं, प्रभु की 21 किमी की परिक्रमा कर मनोकामना पूरी होने के लिए करोड़ों लोग आज भी झोली फैला रहे हैं, पैदल परिक्रमा, दण्डवती परिक्रमा, दुग्धधारा और धूप परिक्रमा लगाकर प्रभु से आशीर्वाद मांग रहे हैं, गिरिराज के धाम में रात दिन लोग परिक्रमा कर रहे हैं, दंडवती परिक्रमा सबसे कठिन परिक्रमा है जिसमें 21 किमी लंबी परिक्रमा लेटकर लगाई जाती है, एक बार लेटकर श्रद्धालु ब्रजरज से सिर और आंखों को स्पर्श कर प्रभु का नमन करते हैं, बतौर निशान हाथों में पत्थर का टुकड़ा, नारियल रखकर परिक्रमा करते हैं, लंबा हाथ पर लेटने के बाद निशान को वहीं छोड़ देते हैं, फिर निशान के बाद अगली दंडवती करते हैं ।
मान्यता के अनुसार दंडवती के निशान से आगे वह पैदल नहीं जाते हैं, पूरी परिक्रमा के बाद यह धनराशि 17,300 रुपये हुई यानी 21 किमी की दंडवती परिक्रमा में 17,300 बार दंडवत होता है, हालांकि व्यक्ति की लंबाई के अनुपात में इस संख्या में थोड़ा बहुत अंतर आ सकता है, यह दंडवती परिक्रमा सामान्यतः सात से आठ दिन में पूरी हो पाती है, कुछ भक्त तो ऐसे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन गिरिराज जी पर न्यौछावर कर रखा है, बड़ी परिक्रमा शुरू करते ही चंद कदमों की दूरी पर एक संत मौन रहकर 1161 निशान लेकर दंडवती परिक्रमा कर रहे हैं, यानी एक ही जगह 1161 दंडवत कर अगला कदम बढ़ाते हैं, उनकी एक दंडवती करीब 2 करोड़ 85 हजार 3 सौ दंडवत के बाद पूर्ण होगी, राजाराम दास 108 निशान की दंडवती लगा रहे हैं, नंदराम (72) भी 108 निशान के साथ अपना धार्मिक सफर पूरा कर रहे हैं ।